Monday 8 March 2021

क़ाबलियत

राजा के दरबार मे एक आदमी नौकरी मांगने के लिए आया,,,,,उससे उसकी क़ाबलियत पूछी गई तो वो बोला,
"मैं आदमी हो चाहे जानवर, शक्ल देख कर उसके बारे में बता सकता हूँ,,

राजा ने उसे अपने खास "घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज" बना दिया,,,,,कुछ ही दिन बाद राजा ने उससे अपने सब से महंगे और मनपसन्द घोड़े के बारे में पूछा तो उसने कहा

नस्ली नही है,

राजा को हैरानी हुई, उसने जंगल से घोड़े वाले को बुला कर पूछा,,,,,उसने बताया घोड़ा नस्ली तो हैं पर इसके पैदा होते ही इसकी मां मर गई थी इसलिए ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला बढ़ा है,,,,,राजा ने अपने नौकर को बुलाया और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा नस्ली नहीं हैं??

"उसने कहा "जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि नस्ली घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता है,,

राजा उसकी काबलियत से बहुत खुश हुआ, उसने नौकर के घर अनाज ,घी, मुर्गे, और ढेर सारी बकरियां बतौर इनाम भिजवा दिए ,और अब उसे रानी के महल में तैनात कर दिया,,,कुछ दिनो बाद राजा ने उससे रानी के बारे में राय मांगी, उसने कहा, 

"तौर तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन पैदाइशी नहीं हैं,

राजा के पैरों तले जमीन निकल गई, उसने अपनी सास को बुलाया, सास ने कहा "हक़ीक़त ये है कि आपके पिताजी ने मेरे पति से हमारी बेटी की पैदाइश पर ही रिश्ता मांग लिया था लेकिन हमारी बेटी 6 महीने में ही मर गई थी लिहाज़ा हम ने आपके रजवाड़े से करीबी रखने के लिए किसी और की बच्ची को अपनी बेटी बना लिया,,

राजा ने फिर अपने नौकर से पूछा "तुम को कैसे पता चला??

""उसने कहा, " रानी साहिबा का नौकरो के साथ सुलूक गंवारों से भी बुरा है एक खानदानी इंसान का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका होता है जो रानी साहिबा में बिल्कुल नही,

राजा फिर उसकी पारखी नज़रों से खुश हुआ और फिर से बहुत सारा अनाज भेड़ बकरियां बतौर इनाम दी साथ ही उसे अपने दरबार मे तैनात कर लिया,,

कुछ वक्त गुज़रा, राजा ने फिर नौकर को बुलाया,और अपने बारे में पूछा,

नौकर ने कहा "जान की सलामती हो तो कहूँ”

राजा ने वादा किया तो उसने कहा 

"न तो आप राजा के बेटे हो और न ही आपका चलन राजाओं वाला है"

राजा को बहुत गुस्सा आया, मगर जान की सलामती का वचन दे चुका था राजा सीधा अपनी मां के महल पहुंचा मां ने कहा ये सच है तुम एक चरवाहे के बेटे हो हमारी औलाद नहीं थी तो तुम्हे गोद लेकर हम ने पाला,,,,,

राजा ने नौकर को बुलाया और पूछा , बता, "भोई वाले तुझे कैसे पता चला????

उसने कहा " जब राजा किसी को "इनाम दिया करते हैं, तो हीरे मोती और जवाहरात की शक्ल में देते हैं लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें दिया करते हैं...ये रवैया किसी राजा का नही,  किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है,,

किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, रुतबा, इल्म, बाहुबल हैं ये सब बाहरी दिखावा हैं । 
*इंसान की असलियत की पहचान उसके व्यवहार और उसकी नियत से होती है*
 *संतान को दोष न दें*.

बालक को *इंग्लिश मीडियम* में पढ़ाया...  *अंग्रेजी* बोलना सिखाया,...

*'बर्थ डे'* और

*'मैरेज एनिवर्सरी'*

जैसे जीवन के *शुभ प्रसंगों* को *अंग्रेजी संस्कृति* के अनुसार जीने को ही *श्रेष्ठ* मानकर...

माता पिता को *'मम्मा'* और
*'डैड'* कहना सिखाया...

जब *अंग्रेजी संस्कृति* से परिपूर्ण बालक बड़ा हो कर, आपको *समय*  नहीं देता, आपकी *भावनाओं*  को नहीं समझता, आप को *तुच्छ* मान कर *जुबान लडाता* है और आप को बच्चों में कोई *संस्कार* नजर नहीं आता है,तब - घर के वातावरण को *गमगीन किए बिना ...या.. संतान को दोष दिए बिना ....कहीं *एकान्त* में जाकर *रो* लें...

*क्यों की...*

पुत्र की पहली वर्षगांठ से ही,
*भारतीय संस्कारों* के बजाय

 *केक* कैसे काटा जाता है ? सिखाने वाले आप ही हैं......

*हवन कुंड में आहुति कैसे डाली जाए,*... 

*मंदिर,मंत्र, पूजा पाठ आदर सत्कार के संस्कार देने के बदले,*

केवल *फर्राटेदार अंग्रेजी* बोलने को ही ,अपनी *शान* समझने वाले आप..

बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे,,
*'प्रणाम आशिर्वाद'* 

के बदले
*'बाय बाय'* 
कहना सिखाने वाले आप..

परीक्षा देने जाते समय
*इष्ट देव /बड़ों के* 

पैर छूने के बदले

*'Best of Luck'*

कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप..

बालक के *सफल* होने पर ,घर में परिवार के साथ बैठ कर *खुशियां* मनाने के बदले,,, 

*होटल में पार्टी मनाने*
की *प्रथा* को बढ़ावा देने वाले आप..

बालक के विवाह के बाद..

*कुल देवता / देव दर्शन* 
को भेजने से पहले... 
 

*हनीमून* के लिए *'फारेन /टूरिस्ट स्पॉट'* भेजने की तैयारी करने वाले आप..

ऐसे ही ढेर सारी *अंग्रेजी संस्कृतियों* को हमने जाने अनजाने *स्वीकार* कर लिया है,

अब तो बड़े बुजुर्गों और श्रेष्ठों के *पैर छूने में भी *शर्म* आती है...

गलती किसकी...?? 
मात्र आपकी *(मां-बाप)* की..

अंग्रेजी International *भाषा* है... 

इसे *सीखना* है..

इसकी *संस्कृति* को,
 *जीवन में उतारना* नहीं है..

मानो तो ठीक..
नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है..

चल रही है,
चलती रहेगी। सोच कर अपने और अपने परिवार,समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करे बाकी आपकी इच्छा।