Monday 25 December 2017

Imaginary ropes

A farmer was taking three of his donkeys for sale to the market.

On the way he saw a river and decided to have a dip.
Since he had only two ropes to tie the donkeys to a tree, he looked around wondering how to tie  the third one.

He saw a sage and sought his help if he could give him a rope to tie the third donkey. The sage did not have a rope but had a suggestion.

He told the farmer, “let the third donkey see you tying the other two donkeys to a tree.  Then you pretend to tie this one also”.

The farmer did as he was told and went for a dip in the river. Coming back, he thanked the sage and saw that the donkeys stood exactly at the same spot where he had left them.

He untied the two donkeys and patted the third one to start moving. After going a little distance, imagine his surprise when the third donkey stood still at the same spot.

Cajoling, kicking or talking did not help with the donkey, refusing to move from the spot. The farmer went back to sage, who told him, “untie the third donkey”.

“But”, protested the farmer, “I have not tied him”. The sage asked, “You know it. But does the donkey know that?”
Sure enough the farmer went back and pretended to untie the donkey. The donkey moved immediately as though released and walked over to join the other two donkeys.

Moral of the story: We are all, also tied up by too many  imaginary ropes... which are really non-existent. The only truth is there are no boundaries in real life and anyone can stretch to any extent.

Keep trying. Keep thinking of your goals. You WILL achieve it. As you start moving ahead, your imaginary ropes will disappear.

Monday 4 December 2017

Interesting information about blood

1. खून का पहला ट्रांसफर 1667 में दो कुत्तों के बीच किया गया था।

2. दुनिया का पहला Blood Bank, 1937 में बनाया गया था।

3. एक बूंद खून में 10,000 white blood cells और 250,000 प्लेटलेट्स होती है।

4. हमारे शरीर में रक्त का 70% भाग red blood cell के अंदर मौजूद hemoglobin में, 4% भाग मांसपेशियों के प्रोटीन मायोग्लोबिन में, 25% भाग लीवर, अस्थिमज्जा, प्लीहा व गुर्दे में होता है और बाकि बचा 1% रक्त प्लाजमा के तरल अंश व कोशिकाओं के एंजाइम्स में होता है।

5. हर 3 सेकेंड में भारत में किसी न किसी को खून की आवश्यकता होती है। हर दिन दुनिया में 40,000 यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। 3 में से 1 व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी खून की आवश्यकता पड़ती है।

6. हमारी नसों में खून 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है और पूरे दिन में लगभग 9600 km की दूरी तय करता है।

7. यदि हमारा दिल शरीर से बाहर खून पंप करे तो यह खून को 30 मीटर ऊपर उछाल सकता है।

8. मजबूरी में नारियल पानी को ब्लड प्लाज्मा की जगह चढ़ाया जा सकता है।

9. मनुष्य का रक्त केवल 4 तरह (O, A, B, AB) का होता हैं लेकिन गायों में लगभग 800, कुत्तो में 13 और बिल्लियों में 11 तरह का रक्त पाया जाता हैं.

10. सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती है नर मच्छर शाकाहारी होते है ये सिर्फ मीठे तरल पदार्थ पीते है। मादा मच्छर अपने वजन से 3 गुना ज्यादा खून पी सकती है।

11. आपको लगता होगा कि मच्छर थोड़ा सा खून पीते है लेकिन आपको बता दे कि 12 लाख मच्छर आपका पूरा खून चूस जाएगे। मच्छर “O” ग्रुप का खून चूसना पसंद करते है।

12. एक नवजात शिशु में सिर्फ 1 कप (250ml) खून होता है और एक जवान आदमी में लगभग 5 लीटर खून हो सकता है। मतलब, शरीर के कुल वजन का 7%.

13. मौत के बाद शरीर का जो अंग धरती के सबसे नजदीक होता हैं खून का बहाव भी उसी तरफ हो जाता हैं और फिर खून जम भी जाता हैं एसा शायद गुरूत्वाकर्षण के कारण होता है।

14. गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाएँखून दान नही कर सकती।

15. हमारे शरीर में लगभग 0.2 मिलीग्रॅाम तक सोनाहोता है और इसकी सबसे आधिक मात्रा खून में पाई जाती है। 40,000 लोगो के खून में से 8 ग्राम सोना निकाला जा सकता है।

16. जापान में लोग ब्लड ग्रुप के माध्यम से ही आदमी के व्यक्तित्व का अंदाजा लगा लेते है।

17. James Harrison, नाम का व्यक्ति पिछले 60 सालों में 1,000 बार खून दान कर चुका है और 20 लाख लोगों की जिंदगी बचा चुका है।

18. ब्राजील देश में एक आदिवासी समूह है बोरोरो। हैरानी की बात ये है कि इस समूह के सभी लोगो का एक ही ब्लड ग्रुप “O” है।

19. लगभग सभी में लाल रंग का खून पाया जाता है लेकिन मकड़ी और घोंघा में हल्के नीले रंग का खून पाया जाता है।

20. HP प्रिंटर की काली स्याही खून से ज्यादा महंगी है।

21. स्वीडिश में जब कोई खून दान करता है तो उसे “Thank You” का मैसेज किया जाता है और ऐसा ही मैसेज तब भी किया जाता है जब उसका खून किसी के काम आता है।

22. शारीरक तौर पर एक ही समय पर पेशाब करना और रक्त देना असंभ्व है।

23. कई बार जब हम आसमान की तरफ देखते है तो हमारी आँखो के सामने थोड़े सफेद-सफेद से डाॅट्स घूमने लगते है। दरअसल ये हमारी white blood cells होती है।

24. रक्त कोशिकाओं को पूरी बाॅडी का चक्कर लगाने में केवल 30 second लगते है, ये 20 सेकंड में 1,12,000 km की दूरी तय कर सकती है.

25. केकड़े का नीलम जैसा खून धरती पर इकलौता ऐसा पदार्थ है जिसका प्रयोग ड्रग्स में पाए जाने वाले दूषित पदार्थों का टेस्ट करने के लिए किया जाता है।

26. यदि रक्त वाहिकाओं को सिरे से सिरे तक मिला लिया जाए तो ये 2 बार धरती को लपेट सकती है।

27. अभी तक कृत्रिम खून नही बनाया जा सका है। ये सिर्फ भगवान की देन है।

28. Red Blood Cells: ये oxygen को लेकर चलती है और co2 को खत्म करती है।

29. White Blood Cells: ये शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है।

30. Plasma: ये बाॅडी में प्रोटीन लेकर चलता है ये खून को जमने से बचाता है।

31. Platelets: ये खून की जमने में मदद करती है, इन्हीं की वजह से चोट लगने के कुछ देर बाद खून निकलना बंद हो जाता है।

तो दोस्तों आपको ये जानकारी रोचक लगी होगी।

Friday 1 December 2017

Limits of diabetes

*Diebetes...
*एक नंगा सच.. जानिये.!
क्या आप जानते हैं, *1997 से पहले fasting diebetes की limit 140 थी।
फिर *fasting sugar की limit 126 कर दी गयी।
इससे *world population में  14% diebetec लोग अचानक बढ़ गए।

उसके बाद *2003 में WHO ने फिर से fasting sugar की limit कम करके 100 कर दी।
याने फिर से *total population के करीबन 70% लोग diebetec माने जाने लगे।

दरअसल *diebetes ratio या limit तय करने वाली कुछ pharmaceutical कंपनियां थीं जो WHO को घूस खिलाकर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये ये सब करवा रही थीं।
*और अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए ये किया जाता रहा।
लेकिन क्या आपको पता है कि
*हकीकत में डायबिटीज को कैसे जांचना चाहिए ?
*कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटीज के शिकार हैं भी या नहीं ?

पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से
*डायबिटीज चेक करने का एक सरल उपाय है
*आप की उम्र और + 100
जी हाँ
यही एक सचाई है
*अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका सुगर लेवल खाने के बाद  165 होना चाहिये।
*अगर आपकी age 75 है तो आपका नॉर्मल सुगर लेवेल खाने के बाद 175 होना चाहिए।

*अगर ऐसा है तो इसका मतलब आपको डायबिटीज नहीं है।
ये होता है age के हिसाब से यानी..
*So now you can count your diebetec limit as 100 + your age.
*अगर आपकी उम्र 80 है तो फिर आपकी डायबिटिक लिमिट खाने के बाद 180 काउंट की जानी चाहिये।
*मतलब अगर आपका सुगर लेवल इस उम्र में भी 180 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं।
*आपकी गिनती नॉर्मल इंसान जैसी होनी चाहिये।
*लेकिन W.H.O. को अपने कॉन्फिडेंस में लेकर बहुत सारी फार्मा कम्पनियों ने अपने व्यापार के लिये सुगर लेवेल में उथल पुथल कर दी और आम जनता उस चक्रव्यूह में फंस गई।

*No Doctor can guide u.
*No one will advice u.
*But its a bitter truth.!
उसके साथ साथ एक सच ये भी है कि,
*अगर आपकी पाचन शक्ति उत्तम है तो आपको कोई टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है
*या फिर आप अपने जीवन में कोई टेंशन नहीं लेते।
*आप अच्छा खाना खाते हो
*आप जंक फूड, ज्यादा मसालेदार या तैलीय भोजन या फ़्राईड फूड नहीं खाते
*आप रेगुलर योगा या कसरत करते हैं
*और आपका वजन आपकी हाइट के हिसाब के बराबर है
*तो आपको डायबिटीज हो ही नहीं सकती।।

यही सत्य है, बस टेंशन न लें अच्छा खाना खाएं, एक्सरसाइज करते रहें,
और फिर
       *खुश भी रहिये और
       *स्वस्थ भी..!!
      
*इसी के साथ अपना ख्याल रखें और अपनों का भी.!

Thursday 30 November 2017

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय!!

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय!!

1. जब भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें .........आपको निसंदेह सफलता प्राप्त होगी ।

2. आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।

3. अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।

4. अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।

5. यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।

6. यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।

7. मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।

8. जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।

9. मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल ध् सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।

10. मुकदमें में विजय प्राप्ति हेतु घर के पूजा स्थल में सिद्धि विनायक पिरामिड स्थापित करके प्रत्येक बुधवार को गन गणपतए नमो नमः मंत्र का जाप करें । जब भी अदालत जाएँ इस पिरामिड को लाल कपड़े में लपेटकर अपने साथ ले जाएँ ....आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी ।

11. यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट / कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा ।

12. अगर आपको किसी दिन कोर्ट कचहरी या किसी भी महत्वपूर्ण काम के लिए जाना हो , तो आप एक कागजी नींबू लेकर उसके चारों कोनो में एक साबुत लौंग गाड़ दें और ईश्वर से अपने कार्यों के सफलता के लिए प्रार्थना करते हुए उसे अपनी जेब में रखकर ही कहीं जाएँ ....उस दिन आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी ।

13. भोज पत्र पर लाल चन्दन से अपने शत्रु का लिखकर शुद्द शहद में डुबोने से शत्रु के मन में आपके प्रति प्रेम और सहानुभूति के भाव जाग्रत हो जाते है।

14. सूर्योदय से पूर्व काले चावल के 11 दाने क्रीं बीज मन्त्र का 21 बार उच्चारण करते हुए दक्षिण दिशा में डाल दें शत्रु का व्यवहार आपके प्रति बदलना शुरू हो जायेगा ।

15. यदि आपको लगता है की आप सही है आपको गलत फंसाया गया है तो आप जब भी अदालत जाएँ लाल कनेर का फूल भिगो कर उसे पीस कर उसका तिलक लगा कर अदालत में जाएँ परिस्थितियाँ आपके अनुकूल होने लगेगी ।

16. एक मुट्ठी तिल में शक्कर मिलाकर किसी सुनसान जगह में ईश्वर से अपने शत्रु पर विजय की प्रार्थना करते हुए डाल दें फिर वापस आ जाएँ पीछे मुड़ कर न देखे शत्रु पक्ष धीरे धीरे शांत हो जायेगा ।

17. जिस दिन न्यायालय जाना हो उस दिन तीन साबुत काली मिर्च के दाने थोड़ी सी शक्कर के साथ मुँह में डालकर चबाते हुए जाएँ, न्यायालय में अनुकूलता रहेगी ।

18. यदि आपके वकील में ही आपके केस में विजय के प्रति संदेह हो, गवाह के मुकरने या आपके विरुद्ध होने का खतरा हो, जज आपके विपरीत हो तो विधि पूर्वक हत्था जोड़ी को अपने साथ ले जाएँ ......आप चमत्कारी परिवर्तन महसूस करेंगे ।

अनामिका सिवाय सब व्यर्थ

सगाई के दौरान लड़की- लड़का दोनों एकदूसरे की अनामिका उंगली में अंगूठी पहनाते हैं ।
ये  अंगूठी अनामिका में ही क्यूँ पहनी जाती है ?
एक सुंदर प्रयोग बताती हूँ .....
आप भी कर के देखें ......

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बुद्धिजीवियों के अनुसार हमारे हाथ की दसों उंगलियां ये एक कुटुम्ब है ।
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. हाथ के अंगूठे हमारे माता-पिता का प्रतीक हैं
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अंगूठे के पास वाली उंगली (तर्जनी) हमारे भाई-बहन की प्रतीक ।
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बीच की उंगली (मध्यमा) हम खुद
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चौथी अनामिका...
मतलब हमारा जोड़ीदार,
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और अंतिम सबसे छोटी उंगली (करंगली)
हमारे बच्चे
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ये हो गया कुटुंब
अब देखते हैं कुटुंब के लोगों से हमारे संबंध कैसे ईश्वर ने स्थापित किये हैं
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.अब फोन को एक ओर रख दोनों हाथ नमस्कार मुद्रा में जोड़ें 
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बीच की दोनों उंगली को अंदर की ओर fold कर हथेली से लगा लें ।
अब दोनो अंगूठे एक दूसरे से दूर करे वो हो जाएंगे
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.कारण माता-पिता का साथ हमें जन्मभर नही मिलता, कभी न कभी वो हमें छोड़ कर जाते हैं ।
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अब अंगूठे छोड़ उसके पास वाली उंगली को खोलें
वो भी खुलेगी
कारण भाई-बहन का अपना परिवार है , उनका खुद का अपना जीवन है ।
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अब वो उंगलियां जोड़ हाथ के आखरिवाली सबसे छोटी उंगली को आपस मे खोलें
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वो भी खुलेंगी, कारण आपके बच्चे बड़े होने पर घोसला छोड़ उड़ान भरने ही वाले हैं ।
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छोटी उंगलियों को अब जोड़ लें
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.अब अंगूठी वाली अनामिका को एक दूजे से दूर करे
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आश्चर्य होगा;
पर वो दूर नही होती । कारण जोड़ीदार, मतलब पति-पत्नी, जीवनभर एक साथ रहने वाले होते हैं । सुख और दुःख में एक दूजे के जीवनसाथी.....
"ये आयुष्य का सुंदर अर्थ
अनामिका सिवाय सब व्यर्थ"

Tuesday 17 October 2017

अंकुरित मूंग के 10 अद्भुत फायद

अंकुरित मूंग के 10 अद्भुत फायदे
*मूंग की दाल का सेवन आप सब ने किसी न किसी रूप में ज़रूर किया होगा। मूंग की दाल की कई रेसपी जैसे मूंग की दाल, मूंग सैंडविच, अंकुरित मूंग की दाल सलाद, मूंग दाल की खिचड़ी, मूंग दाल की बरिया, मूंग दाल का लड्डू और सबसे स्पेशल रेसपी मूंग दाल का हलवा आदि व्यंजनों को आप सब ने ज़रूर टेस्ट किया होगा। मूंग की दाल का उपयोग केवल व्यंजन बनाने के लिए नहीं बल्कि वज़न घटाने के लिए भी लोग इसका उपयोग करते है क्योंकि अंकुरित मूंग की दाल के सेवन से शरीर में कुल 30 कैलोरी और 1 ग्राम फ़ैट ही पहुंचता है।*

*अंकुरित मूंग दाल में कई पोषक तत्व जैसे मैग्‍नीशियम, कॉपर, फ़ोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन, विटामिन सी, विटामिन बी, फ़ाइबर, पौटेशिय, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी -6, नियासिन, थायमिन और प्रोटीन आदि मौजूद होते है इसलिए इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद लाभकारी है।*
*फ़ायदेमंद अंकुरित मूंग की दाल

पोषक तत्वों से परिपूर्ण:-

*पोषक तत्वों से परिपूर्ण संतुलित आहार और उचित पोषक तत्वों को पाने के लिए नियमित अंकुरित मूंग की दाल का सेवन अवश्‍य करें क्योंकि यह शरीर में आवश्‍यक तत्‍वों की कमी हो पूरा कर शरीर को हृष्ट पुष्ट बनाती है। मूंग दाल की अंकुरण की अवस्था में बीजों में विटामिन सी, आयरन तथा फ़ास्फ़ोरस की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं अंकुरण के बाद विभिन्न दालों में पाया जाने वाला स्टार्च, ग्लूकोज़ में तथा फ्राक्टोज़, माल्टोज़ में बदल जाता है। इससे इनका स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही वे सुपाच्य भी हो जाती हैं।*

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं:-

*रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने व बीमारियों से लड़ने के लिए नियमित मूंग की दाल का सेवन करें। यह शरीर को ताक़त प्रदान करती हैं। इसमें मौजूद एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ़्लामेट्री गुण शरीर की इम्‍यूनिटी पॉवर को बढ़ाते हैं।*

कब्‍ज़ में राहत:-

*कब्‍ज़ में राहत प्रदान करें अंकुरित मूंग की दाल में फ़ाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो पाचन क्रिया को ठीक कर कब्ज़ से छुटकारा दिलाती है।*

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करें:-

*ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करें अंकुरित मूंग की दाल में मौजूद पेप्टिसाइड बीपी को संतुलित और शरीर को फ़िट रखती है जिससे आप हेल्दी और एक्टिव बने रहते है।*

आयरन का अच्छा स्रोत:-

*आयरन का अच्छा स्रोत मूंग की दाल आयरन का एक अच्छा स्रोत है। एनीमिया के रोग से बचने के लिए व आयरन की कमी को दूर करने के लिए मूंग की दाल का भरपूर सेवन करें।*

वज़न घटाने में मददगार:-

*वज़न घटाने में मददगार अगर आप मोटापे से परेशान है और वज़न घटाना चाहते है तो अंकुरित मूंग की दाल का सेवन करें* *क्योंकि ये न सिर्फ़ आपकी कैलोरी घटाती है बल्कि आपको लंबे समय तक भूख भी नहीं लगने देती। इसलिए रात के खाने में आप चपाती के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाएं जिससे आपको भरपूर पोषण भी मिलेगा।*
मूंग दाल के लाभ :

कब्ज़:-

*अगर आपको कब्ज़ हो जाएँ तो मूंग की दाल की खिचड़ी खाएं क्योंकि मूंग दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। 2. किसी भी बीमारी के बाद शरीर बहुत कमज़ोर हो जाता है।तो इस कमजोर शरीर को हृष्ट पुष्ट बनाने के लिए नियमित मूंग की दाल का सेवन करें।*

दाद, खाज-खुजली:-

*अगर आप दाद, खाज-खुजली की समस्या से परेशान है तो मूंग की दाल को छिलके के साथ पीस कर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगा लें इससे बेहद आराम मिलेगा।*

त्वचा एवं बाल :-

*अंकुरित मूंग की दाल आपकी त्वचा से लेकर आपके बालों को निखारने में मदद करती हैं। अगर आप बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो आप अंकुरित दाल की एक कटोरी रोज़ सुबह नाश्‍ते में लें। ऐसा करने से आपके बालों को सही पोषण मिलेगा।*

*तो आज से ही अंकुरित मूंग की दाल का नियमित सेवन करें और रक्त अल्पता, हडि्डयों की बीमारियां, मानसिक तनाव, कब्ज़, अनिद्रा, बवासीर, मोटापा तथा पेट के कई अन्य रोगों से छुटकारा पाएं.

Saturday 7 October 2017

Best Home therapy of Dengue

डेंगू बुखार फैल रहा है। अपने घुटनों से पैर के पंजे तक नारियल का तेल (coconut oil) लगायें। यह एक एंटीबायोटिक परत की तरह सुबह से शाम तक काम करता है। डेंगू का मच्छर घुटनों तक की ऊँचाई से ज्यादा नही उड़ सकता है।

किसी को dengu हुआ हो तो हरी ईलायची के दानो को मुँख में दोनो तरफ रखे, ख्याल रहे , चबाये नही. खाली मुँख में रखने से ही खून के कण नार्मल और प्लेटलेट्स तुरंत ही बढ़ जाते हैं ।

यह संदेश सभी को भेजने नम्र विनंती है .
डेंगू को 48 घंटे मे समाप्त
करने की क्षमता रखने वाली
दवा ।   कृपया इस संदेश को
अधिक से अधिक लोगो तक भेजे महत्वपूर्ण सूचना :- 
यदि किसी को डेगूँ या साधारण बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम हो गयी है तो एक होमोपेथिक दवा है।
EUPATORIUM PERFOIAM 200
liquid dilution homeopathic medicine.
इसकी 3 या 4 बूँदें प्रत्येक 2-2 घँटें में साधारण पानी में ड़ाल कर मात्र 2 दिन पिलायें । 
यदि आप पुण्यं कमाना चाहते हैं तो यह संदेश धर्म-प्रसाद मान कर सभी को प्रेषित करे

Saturday 30 September 2017

प्राकृतिक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या

प्राकृतिक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या
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प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से फेफड़ो में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहनेवालो का जीवन निस्तेज हो जाता है ।

प्रातः 5 से 7 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल – त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।

प्रातः 7 से 9 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं।

प्रातः 11 से 1 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है। दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम ) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसीलिए भोजन वर्जित है। इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।

दोपहर 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।

दोपहर 3 से 5 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।

शाम 5 से 7 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है। इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए। शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।

रात्री 7 से 9 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।

रात्री 9 से 11 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।

रात्री 11 से 1 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।

रात्री 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।

नोट :-- ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनर से बचना चाहिए।

पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।

शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं।