Thursday, 30 November 2017

अनामिका सिवाय सब व्यर्थ

सगाई के दौरान लड़की- लड़का दोनों एकदूसरे की अनामिका उंगली में अंगूठी पहनाते हैं ।
ये  अंगूठी अनामिका में ही क्यूँ पहनी जाती है ?
एक सुंदर प्रयोग बताती हूँ .....
आप भी कर के देखें ......

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बुद्धिजीवियों के अनुसार हमारे हाथ की दसों उंगलियां ये एक कुटुम्ब है ।
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. हाथ के अंगूठे हमारे माता-पिता का प्रतीक हैं
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अंगूठे के पास वाली उंगली (तर्जनी) हमारे भाई-बहन की प्रतीक ।
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बीच की उंगली (मध्यमा) हम खुद
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चौथी अनामिका...
मतलब हमारा जोड़ीदार,
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और अंतिम सबसे छोटी उंगली (करंगली)
हमारे बच्चे
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ये हो गया कुटुंब
अब देखते हैं कुटुंब के लोगों से हमारे संबंध कैसे ईश्वर ने स्थापित किये हैं
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.अब फोन को एक ओर रख दोनों हाथ नमस्कार मुद्रा में जोड़ें 
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बीच की दोनों उंगली को अंदर की ओर fold कर हथेली से लगा लें ।
अब दोनो अंगूठे एक दूसरे से दूर करे वो हो जाएंगे
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.कारण माता-पिता का साथ हमें जन्मभर नही मिलता, कभी न कभी वो हमें छोड़ कर जाते हैं ।
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अब अंगूठे छोड़ उसके पास वाली उंगली को खोलें
वो भी खुलेगी
कारण भाई-बहन का अपना परिवार है , उनका खुद का अपना जीवन है ।
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अब वो उंगलियां जोड़ हाथ के आखरिवाली सबसे छोटी उंगली को आपस मे खोलें
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वो भी खुलेंगी, कारण आपके बच्चे बड़े होने पर घोसला छोड़ उड़ान भरने ही वाले हैं ।
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छोटी उंगलियों को अब जोड़ लें
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.अब अंगूठी वाली अनामिका को एक दूजे से दूर करे
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आश्चर्य होगा;
पर वो दूर नही होती । कारण जोड़ीदार, मतलब पति-पत्नी, जीवनभर एक साथ रहने वाले होते हैं । सुख और दुःख में एक दूजे के जीवनसाथी.....
"ये आयुष्य का सुंदर अर्थ
अनामिका सिवाय सब व्यर्थ"

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