Saturday 14 January 2017

RBSE TIME TABE BOARD EXAM 2017- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम 2017

*माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम 2017*

                     *12वीं आर्ट्स*

1. 2 मार्च       अंग्रेजी अनिवार्य
2. 5 मार्च        हिन्दी अनिवार्य
3. 9 मार्च        भूगोल
4. 19 मार्च      उर्दू साहित्य / हिन्दी साहित्य
5. 22मार्च        चित्रकला
6. 26 मार्च       गृहविज्ञान
7. 29 मार्च        संस्कृत
   
  
    
    
    

ली जाने वाली छुट्टी एवं उसके नियम

ली जाने वाली छुट्टी एवं उसके नियम

*1 - अर्जित अवकाश :-*
यह अवकाश प्रत्येक वर्ष 31 दिन के देय है। 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन दो किस्तों में देय है।
यह अवकाश पूरे सेवा काल में 300 दिनों तक जमा किया जा सकता है। भारत में लगातार 120 दिन की तथा भारत से बाहर 180 दिनों की छुट्टी देय है।
_*मूल नि.- 81-बी(1)*_

*2 - चिकित्सा अवकाश :-*
यह अवकाश स्थाई कार्मिकों को पूरे सेवा काल में 12 माह तक पूरे वेतन पर तथा 6 माह तक अर्ध वेतन पर देय है।
_*मूल नि.-81-बी(3)*_

*3 - निजी कार्य पर, अर्ध वेतन पर अवकाश :-*
स्थाई कार्मिकों को यह अवकाश पूरे सेवा काल में 365 दिनों तक अर्ध वेतन पर देय है। यह अवकाश भी अर्जित अवकाश की तरह 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन कर्मचारी के खाते में जमा हो जाता है तथा यह अवकाश भी कर्मचारी के खाते में पुरा यानी 365 दिनों तक जमा किया जा सकता है।
_*मूल नि.-81-बी(3)*_

*4 - असाधारण अवकाश ( बिना वेतन का ) :-*
यह अवकाश अन्य अवकाश के साथ मिलाकार अथवा बिना वेतन का अवकाश अलग से 5 वर्ष तक का देय है। 5 वर्ष से अधिक शासन द्वारा स्वीकृति किया जा सकता है।
_*मूल नि.-18, 81-बी(5)*_

*5 - विशेष बिकलांगता अवकाश :-*
यह अवकाश ड्यूटी करते समय दुर्घटना होने पर कूल 24 माह का निम्न प्रकार देय है।

       1 - प्रथम 6 माह पूरे वेतन पर। तथा यह 6 माह ड्यूटी मानी जायेगी।
       2 -119 दिन पूर्ण वेतन पर। लेकिन यह अवकाश माना जायेगा।
       3 - शेष 14 माह 1 दिन अर्ध वेतन पर देय है।

यह अवकाश किसी भी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
_*मूल नि.-83 तथा 83 ए*_
_*मूल नि.-9(6) ख (4)*_
_*मूल नि.-83 क (3) (ख)*_

*6 - अध्ययन अवकाश(study leave) :-*
यह अवकाश पूरे सेवा काल 24 माह का अर्ध वेतन पर देय है। एक बार में लगातार 12 माह तक छुट्टी देय है। यह अवकाश भी किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
नोट-यह उन्ही कर्मचारी को मिलेगी जिनकी सेवा काल 5 वर्ष हो गई हो। तथा यह अवकाश सेवानिवृति होने के 3 वर्ष पहले तक ही मिलेगी।
_*मूल नि.-84*_

*7 - राश्रीकृति अवकाश (commuted leave) :-*
यह अध्ययन अवकाश की तरह ही है। इसमें भारत में 45 दिन तक तथा भारत से बाहर 90 दिन तक पूरे वेतन पर देय है। लेकिन यह अवकाश निजी कार्य पर अर्ध वेतन पर जमा अवकाश में से दुगुनी घटाई जायेगी।
_*मूल नि.-81(बी)-4*_

*8 - प्रसूति अवकाश (महिलाओं के लिए) :-*
यह अवकाश केवल महिलाओं को प्रसूति हेतू 180 दिन यानी 6 माह तक 2 बच्चों तक देय है। तथा बच्चों के पालन पोषण हेतू 730 दिन तक पूरे वेतन पर दो बच्चों तक अलग से देय है। यह 730 दिन का अवकाश बच्चों के 18 वर्ष की उम्र होने तक due रहेगी। तथा एक कलेंडर वर्ष में 3 बार देय है। लेकिन एक बार में कम से कम 15 दिन का छुट्टी लेना होगा।
इसके अलावा गर्भ समापन अवकाश, चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर 6 सप्ताह तक पुरे वेतन पर पूरे सेवा काल में असीमित बार देय है।
*नोट -* गर्भ समापन का मतलब बच्चा ख़राब होने से है।
_*सहायक नि.-153*_
_*शासनादेश संख्या-2-2017, दि. 08.12.2008*_

*9 - चिकित्सालय अवकाश :-*
यह अवकाश उन कर्मचारियों को देय है जिनकी जान का जोखिम हो तथा सभी विभागों के सुरछा गार्डों एवं बंदी रच्छकों को देय है। यह अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को देय है।
प्राथमिकी चिकित्सक की संस्तुति पर 6 माह तक देय है। जिसमे प्रथम 3 माह पूर्ण वेतन पर तथा अगला 3 माह अर्ध वेतन पर। 3 वर्ष बाद पुनः6 माह का उपरोक्तानुसार देय होगा।

*10 - एंटी रेबीज उपचार हेतू अवकाश :-*
यदि किसी कार्मचारी को पागल कुत्ता या अन्य जानवर काट ले तो उसे सरकारी चिकित्सक की संस्तुति पर पूर्ण वेतन पर अवकाश देय है। यह अवकाश किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जाएगा। दिन की कोई सीमा तय नहीं है। डॉक्टर के द्वारा छुट्टी के दिनों की संख्या निर्धारित होगी।
_*मूल नि.-9(6) (क) (3)*_

*11 - आकस्मिक अवकाश :-*
यह अवकाश प्रत्येक कलेंडर वर्ष में 14 दिन देय है। तथा 2-3दिन का विशेष अवकाश भी स्वीकृति किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 10 दिनों की छुट्टी स्वीकृति हो सकती है। यह अवकाश कर्मचारी के खाते में जमा नही होगी। हर साल छुट्टी न लेने पर बची हुई छुट्टी स्वतः ही लेप्स हो जायेगी।
_*ध्यान रहे यह अवकाश लेने पर बीच में पड़ने वाले अवकाश जैसे रविवार या अन्य छुट्टी को जोड़ा नही जायेगा।*_

भक्तशिरोमणी करमाबाई

#भक्तशिरोमणी_करमाबाई ....!!

       

थाली भर नै लायो खींचडो ऊपर घी री बाटकी
जीमो म्हारा श्यामधणी जिमावै बेटी जाट की ।।

करमा बाई का जन्म #कालवा (नागौर ) के किसान जीवनराम डूडी के घर माता रतनी देवी की कोख से भादवा बदी एकंम्  अर्थात 20 अगस्त 1615 ई. को हुआ।
करमां बाई ने पर्ची में जन्म स्थान मरूप्रदेश का आनंदपुर बताया है जो कालवा ही है। उसके जन्म पर मूसला धार बरसात हुई थी। जिससे गाँव में खुशियाँ फ़ैल गयी थी। करमा बाई पैदा होते ही हंसी थी जो एक चमत्कार था। एक बूढी दाई ने तो कहा कि यह बालिका ईश्वर का अवतार है.[3]
करमा बाई का विवाह: मनसुख रणवा के अनुसार करमा बाई का विवाह छोटी उम्र में ही अलवर जिले के गढ़ी मामोड गाँव में साहू गोत्र के लिखमा राम के साथ कर दिया। कुछ ही समय बाद पति की मृत्यु हो गयी। करम बाई उस समय कालवा में ही थी। उनका अंतिम संस्कार करने के लिए वह ससुराल गाढ़ी मामोड चली गयी। वह घर और खेत का सारा काम करती थी। अतिथियों की खूब आवभगत करती थी। कालवा ही नहीं आस-पड़ौस के गाँवों में उसकी प्रसंसा होने लगी।[4]
डॉ पेमा राम  के अनुसार करमा बाई का विवाह सोऊ गोत्र में गाँव मोरेड़ वाया बिदियाद (नागौर) कर दिया गया था।  परन्तु थोड़े ही समय में वह विधवा हो गयी और आजीवन बाल विधवा के रूप में ही अपना जीवन भगवान की भक्ति में व्यतीत किया।
करमा बाई का भगवान को खिचड़ी खिलाना : डॉ पेमा राम  ने इस घटना का विवरण निम्नानुसार दिया है:
एक लोक गीत से पता चलता है की इनके पिता भगवान के बड़े भक्त थे और उनको भोग लगा कर ही भोजन ग्रहण करते थे। एक दिन इनके पिता तीर्थ-यात्रा पर गए और भगवान की पूजा अर्चना व भोग लगाने की जिम्मेदारी बाई कर्मा को सौंप गए। दूसरे दिन भोली करमाँ ने खिचड़ी बनाकर भगवान् को भोग लगाया तो भगवान ने ग्रहण नहीं किया। तब करमा बाई ने सोचा कि शायद परदा न होने के कारण भगवान भोग नहीं लगा रहे हैं। उसने अपने धाबलिये (घाघरे) का परदा किया और मूंह दूसरी तरफ फेर लिया, ताकि भगवान् भोग लगा सके। फिर भी नतीजा कुछ न निकला। उसने भगवान से फिर कहा, "भगवान् आप भोजन नहीं करते तो मैं भी नहीं खाऊँगी।" करमा उस दिन भूखी रह गयी। उसने दूसरे दिन फिर खिचड़ी बनाई और घाघरे का परदा करके भगवान के फिर से भोग लगाया। दूसरे दिन भी कोई नतीजा नहीं निकला। तब उसने कहा कि यदि आप नहीं खायेंगे तो मैं न तो खिचड़ी खाऊँगी और न भोग लगाऊंगी। भूखी रहकर प्राण त्याग दूँगी। इस तरह तीन दिन बीत गए। तीसरे दिन भगवान् ने करमाँ को स्वप्न में कहा , "उठ ! जल्दी से खिचड़ी बना, मुझे बड़ी भूख लगी है। "
करमा बाई हडबड़ा कर उठी, जल्दी से खिचड़ी पकाई और परदा कर के भगवान के भोग लगाया। थोड़ी देर में देखा कि भगवान सारी खिचड़ी खा गए हैं। करमा बाई का खुसी का ठिकाना न रहा। अब वह नित्य प्रति भगवान को खिचडी का भोग लगाने लगी और बालरूप में भगवान आकर उसकी खिचडी खाने लगे। यह करमा बाई के भक्ति की चरम सीमा थी।
करमा बाई के घर भगवान द्वारा स्वयं आकर भोजन करने की बात दिन दूनी रात चौगुनी चारों तरफ फ़ैल गयी। नाभादास कृत भक्तमाल में करमा बाई के सम्बन्ध में इस प्रसंग का उल्लेख मिलता है। चारण ब्रह्मदास दादूपंथी विरचित 'भगत माल' में भी इसका उल्लेख इस प्रकार है-
जिमिया खीच करमां घिरे ज्वार का
बडम धिन द्वारिका तणा वासी
काफी दिनों बाद जब करमा बाई के पिता तीर्थ यात्रा पूरी करके वापिस लौटे तो उन्हें यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि प्रभु रोज करमा बाई की खिचड़ी खाने आते हैं। वह भी अपनी आँखों से भगवान के दर्शन कर धन्य हुए।[8]
करमा बाई की प्रसिद्धी: इस तरह करमा बाई के प्रेम में बंधे भगवान जगन्नाथ को भी प्रतिदिन सुबह खिचड़ी खाने जाना पड़ता था। अत: प्रभु जगन्नाथ के पण्डितों ने इस समस्या के समाधान के लिए राजभोग से पहले करमा बाई के नाम से खिचड़े का भोग प्रतिदिन जगन्नाथपुरी के मंदिर में लगाने लगे ताकि भगवान को जाना न पड़े। आज भी जगन्नाथपुरी के मंदिर में करमा बाई की प्रीत का यह ज्वलंत उदहारण देखने को मिलता है जहाँ भगवान के मंदिर में करमा बाई का भी मंदिर है और उसके खीचड़े का भोग प्रतिदिन भगवान को लगता है। परचीकार ने लिखा है -
करमां के घर जीमता, जो न पतीजो लोक।
देखो जगन्नाथ में, अज हूँ भोग।
मलुक को टुकरो बंटे, वटे कबीर की पाण।
करमांबाई रो खीचड़ो, भोग लगे भगवान।।
करमांबाई की भक्ति की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। करमांबाई ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान की भक्ति में व्यतीत कर दी। करमांबाई की भक्ति का परिणाम है कि आज भी राजस्थान में उनकी वात्सल्य भक्ति के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। महिलायें कृष्ण मंदिरों में करमांबाई के खीचड़ले से सम्बंधित भजन भक्ति भाव से गाती हैं। इस तरह करमांबाई अपनी अनूठी वात्सल्य भक्ति के कारण इस संसार में प्रसिद्धि प्राप्त कर 1691 ई. में एक दिन परमात्मा में विलीन हो गयी। वह भगवान में आस्था रखने वालों के लिए एक सन्देश छोड़ गयी  कि  सच्चे और भोले मन से किया गया  निस्वार्थमय कार्य ही ईश्वर प्राप्ति का सबसे आसान मार्ग है।।

Thursday 12 January 2017

गाय के दूध के दुष्चक्र

RajivDixit Ji – भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता भाई राजीव दीक्षित जी को समर्पित

कही आप भी जहर तो नहीं पी रहे ! दुनिया में हो रहे गाय के दूध के दुष्चक्र को समझिए !
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भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है| जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल निम्न हैं –
1) गिर गाय (सालाना-2000-6000 लीटर दूध, स्थान -सौराष्ट्र, गुजरात)
2) साहिवाल गाय (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -UP, हरियाणा, पंजाब)
3) लाल सिंधी ( सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -उत्पत्ति सिंध में लेकिन अभी पूरे भारत में)
4) राठी (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-राजस्थान, हरियाणा,पंजाब)
5) थरपार्कर(सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-सिंध, कच्छ, जैसलमेर,जोधपुर)
6) कांक्रेज (सालाना-1500-4000 लीटर दूध, स्थान-उत्तरी गुजरात व राजस्थान)

### एक शोधपूर्ण सच्चाई ###

ब्राजील देश ने हमारी देसी गायों का आयात कर अब तक 65 लाख गायों की संख्या कर ली है । और इससे भी दोगुनी उन लोंगो ने दूसरे देशों में निर्यात की है।  google पर indian cow in brazil सर्च कर सकते है ! उन लोगों ने दिल से इन गौवंश (हाँ, सांडो सहित ) की सेवा कर आज औसत में एक गाय से दिनभर में करीब 40 लीटर दूध पाने की शानदार स्थिति बना ली।

अब सुनिए दूसरी बात :

ब्राजील इस दूध से पाउडर बना कर ऑस्ट्रेलिया ,डैनमार्क को निर्यात करता है । जबकि डैनमार्क जैसे देश मे आदमी से अधिक गाय है लेकिन वो अपनी गाय का दूध नहीं पीते ! वहाँ ‘milk is white poison’ वाली बात प्रचलित है ! और तो और ऑस्ट्रेलिया ,डैनमार्क आदि देश अपनी जर्सी -होलस्टीन युवान ( जिन्हें हम गाय कहते नहीं थकते ! ) के दूध से पाउडर निकाल कर हमारे देश भारत को भेजता है । इस पाउडर को ऑस्ट्रेलिया में उपयोग में लाने पर कड़ा प्रतिबन्ध है । वे सिर्फ ब्राजील के दूध पाउडर को ही उपयोग में लाते हैं । क्यों ? क्योंकि ऑस्ट्रेलिया,डैनमार्क आदि देशो की गायों का दूध से डायबिटीज़, कैंसर जैसी भयंकर बीमारी फैलती है । आज हमारा भारत डायबिटीज़ व कैंसर की बीमारी की विश्व राजधानी बनता जा रहा है । भारत की प्रत्येक डेयरी में हुए सम्पूर्ण दूध में से फेट ( क्रीम-मक्खन ) निकालकर उसमे इस आयातित दूषित ऑस्ट्रेलियन , डैनमार्क दूध पाउडर को मिलाकर प्रोसेस किया जाकर थैलियों के माध्यम से हमारी रसोई तक पहुंचाया जाता है ।

ये कैसा दुष्चक्र है !!!! भारत की देसी गाय ब्राजील, वहां से दूध पाउडर ? ऑस्ट्रेलिया का दूषित दूध पाउडर भारत ? और फिर होता है दवाइयों का आयात । साथियों, थैली के दूध का प्रयोग तुरन्त बन्द करो । देसी गाय के दूध को किसी भी कीमत पर प्राप्त कर स्वास्थ्य को बचाओ । वैज्ञानिक भाषा मे देसी गाय के दूध तो A2 कहते है और विदेशी (जर्सी हालेस्टियन) गायों के दूध को A1 कहते है ! दोनों के दूध मे क्या अंतर है सैंकड़ों रिसर्च विदेशो मे हो चुकी है !

मित्रो जब आप विदेशी गाय जैसे जर्सी,हाले स्टियन आदि पर ज्यादा रिसर्च करेंगे आपको पता चलेगा की इन्हे सूअर से artificial insemination कर के विकसित किया गया है । मित्रो आप देसी गाय के दूध का महत्व समझे अन्य लोगो को समझाएँ ,विदेशी गाय (पूतना भगवान कृष्ण को मरने आई थी ) का दूध ना पीये !

हमारे मूर्ख नीति निर्धारकों ने दूध की मात्रा को गौमाता की उपयोगिता का मापदंड बना दिया। भारतीय संस्कृति का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता था। मित्रो हमने अपनी कमियों को सुधारने की बजाय अपनी गौमाता पर ही कम दूध देने का लांछन लगा दिया। इतिहास गवाह है कि भारत वर्ष में जब तक गौ वास्तव में माता जैसा व्यवहार पाती थी – उसके रख-रखाव, आवास, आहार की उचित व्यवस्था थी, देश में कभी भी दूध का अभाव नहीं रहा। मित्रो दूध को एक  तरफ छोड़ भी दे तो भी गौ माता जीवन के पहले दिन से अंतिम दिन तक गोबर और गौ मूत्र देती है जिससे रसोई गैस का सिलंडर चलता है और गाड़ी भी चलती है

राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस)

*राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस)*

*हर वर्ष 12 जनवरी को भारत में पूरे उत्साह और खुशी के साथ राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस या स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) मनाया जाता है। इसे आधुनिक भारत के निर्माता स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को याद करने के लिये मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने के लिये वर्ष 1984 में भारतीय सरकार द्वारा इसे पहली बार घोषित किया गया था। तब से (1985), पूरे देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में इसे मनाने की शुरुआत हुई।*

युवा दिवस 2017

12 जनवरी 2017 गुरूवार को पूरे भारत भर में राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस या स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) मनाया जायेगा।

*राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास*

यह सर्वज्ञात है कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस पर हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने के लिये भारतीय सरकार ने घोषित किया था। स्वामी विवेकानंद का दर्शन और उनके आदर्श की ओर देश के सभी युवाओं को प्रेरित करने के लिये भारतीय सरकार द्वारा ये फैसला किया गया था। स्वामी विवेकानंद के विचारों और जीवन शैली के द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित करने के द्वारा देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने का फैसला किया गया था।

इसे मनाने का मुख्य लक्ष्य भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के महत्व को फैलाना है। भारत को विकसित देश बनाने के लिये उनके बड़े प्रयासों के साथ ही युवाओं के अनन्त ऊर्जा को जागृत करने के लिये यह बहुत अच्छा तरीका है।

*राष्ट्रीय युवा दिवस उत्सव*

पौष कृष्णा सप्तमी तिथि में वर्ष 1863 में 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस हर वर्ष रामकृष्ण मिशन के केन्द्रों पर, रामकृष्ण मठ और उनकी कई शाखा केन्द्रों पर भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार मनाया जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस पर गतिविधिया (क्रिया-कलाप)

खेल, सेमिनार, निबंध-लेखन, के लिये प्रतियोगिता, प्रस्तुतिकरण, योगासन, सम्मेलन, गायन, संगीत, व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद पर भाषण, परेड आदि के द्वारा सभी स्कूल, कॉलेज में युवाओं के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस या स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) मनाया जाता है। भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिये विद्यार्थियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों से संबंधित व्याख्यान और लेखन भी किया जाता है।

उनके आंतरिक आत्मा को प्रोत्साहन, युवाओं के बीच भरोसा, जीवन शैली, कला, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये देश के बाहर के साथ ही पूरे भारत भर के कार्यक्रमों में भाग लिये लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार के दूसरे कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी होती है।

उत्तर प्रदेश में मिशन भारतीयम के द्वारा सभी उम्र समूह के लिये एक दो दिनी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में दर्जनों क्रियाएँ शामिल है और इसे बस्ती युवा महोत्सव के नाम से जाना जाता है। इस दिन को सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन के साथ ही कॉरपोरेट समूह अपने तरीके से मनाते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत भोर में पवित्र माता श्री शारदा देवी, श्री रामाकृष्णा, स्वामी विवेकानंद और स्वामी रामकृष्णनंदा के पूजा के साथ होती है। भक्तों और पूजारियों के द्वारा पूजा के बाद एक बड़ा होम (हवन) किया जाता है। उसके बाद भक्तगण पुष्प अर्पित करते हैं और स्वामी विवेकानंद की आरती करते हैं। और अंत में प्रसाद वितरण किया जाता है।

*राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों मनाया जाता है*

स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। युवा देश के महत्वपूर्णं अंग हैं जो देश को आगे बढ़ाता है इसी वजह से स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के द्वारा सबसे पहले युवाओं को चुना जाता है। इसलिये, भारत के सम्माननीय युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। कार्यक्रम को उत्साह पूर्वक मनाने के लिये स्कूल और कॉलेज को रुचिकर ढंग से सुसज्जित करते हैं।

स्वामी विवेकानंद एक महान इंसान थे जो हमेशा देश की ऐतिहासिक परंपरा को बनाने और नेतृत्व करने के लिये युवा शक्ति पर विश्वास करते थे और मानते थे कि विकसित होने के लिये देश के द्वारा कुछ उन्नति की जरुरत है।

*युवा दिवस की थीम*

2011 की थीम थी “सबसे पहले भारत।”2012 की थीम थी “विविधता में एकता का जश्न।”2013 की थीम थी “युवा शक्ति की जागरुकता।”2014 की थीम थी “ड्रग्स मुक्त संसार के लिये युवा।”2015 की थीम थी “यंगमंच और स्वच्छ, हरे और प्रगतिशील भारत के लिये युवा।” “(इसका नारा था, ‘हमसे है नयी शुरुआत’)”।2016 की थीम है “विकास, कौशल और सद्भाव के लिए भारतीय युवा।”

*युवा दिवस पर कथन*

राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद द्वारा कहे गये कथन निम्न प्रकार हैं:

“उच्चतम आदर्श को चुनो और उस तक अपना जीवन जीयो। सागर की तरफ देखों न कि लहरों की तरफ।”- स्वामी विवेकानंद“कुछ सच्चे, ईमानदार और ऊर्जावान पुरुष और महिलाएं एक वर्ष में एक सदी की भीड़ से अधिक कार्य कर सकते हैं।” - स्वामी विवेकानंद“धर्म आदमी में पहले से ही देवत्व की अभिव्यक्ति है।” – स्वामी विवेकानंद“धन पाने के लिये कड़ा संघर्ष करों पर उससे लगाव मत करो।”– स्वामी विवेकानंद“जो गरीबों में, कमजोरों में और बिमारियों में शिव को देखता हैं, वो सच में शिव की पूजा करता हैं।”– स्वामी विवेकानंद“प्रत्येक आत्मा संभावित परमात्मा है।”– स्वामी विवेकानंद“दिन में एकबार खुद से बात अवश्य करों......नहीं तो आप संसार के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति से मिलने से चूक जाओंगे।”– स्वामी विवेकानंद“मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है, आधुनिक पीढी से मेरे कार्यकर्ता आ जायेगें।”– स्वामी विवेकानंद“काम, काम, काम – बस यही आपके जीवन का उद्देश्य होना चाहिये।”– स्वामी विवेकानंद“पृथ्वी का आनंद नायकों द्वारा लिया जाता हैं – ये अमोघ सत्य हैं। एक नायक बनो और सदैव कहो “मुझे कोई डर नहीं है।””– स्वामी विवेकानंद“महसूस करो कि तुम महान हो और तुम महान बन जाओगें।”– स्वामी विवेकानंद“मेरी भविष्य की आशाएँ युवाओं के चरित्र, बुद्धिमत्ता, दूसरों की सेवा के लिए सभी का त्याग और आज्ञाकारिता– खुद को और बड़े पैमाने पर देश के लिए अच्छा करने वालों पर निर्भर है।”– स्वामी विवेकानंद“मृत्यु तो निश्चित हैं, एक अच्छे काम के लिये मरना सबसे बेहतर हैं।”– स्वामी विवेकानंद“हमारे देश को नायकों की जरुरत हैं, नायक बनों, तुम्हारा कर्तव्य हैं काम करते जाओ और फिर सभी तुम्हारा खुद अनुसरण करेंगे।”– स्वामी विवेकानंद“उठो, जागों और जब तक मत रुकों तब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हों।”– स्वामी विवेकानंद“आप भगवान में जब तक विश्वास नहीं कर सकते जब तक कि आप खुद में विश्वास नहीं करते।”– स्वामी विवेकानंद“जब एक विचार यदि मन में आये तो ये वास्तविक शारीरिक या मानसिक स्थिति में तब्दील हो जाता है।”– स्वामी विवेकानंद“युवाओं के बीच काम करना सबसे अच्छा हैं जिनमें तुम्हारी आशाएँ रहती हैं – धैर्य, व्यवस्थित रुप से और बिना शोर के।”– स्वामी विवेकानंद“एक बच्चा इंसान का पिता होता हैं” “एक बूढ़े आदमी के लिये ये कहना कहा तक उचित हैं कि बचपन पाप हैं या युवा अवस्था पाप है।”– स्वामी विवेकानंद

Monday 9 January 2017

"Walking" is the best exercise!!!                                                            

*"Walking"*
is the best exercise!!!                     
                                         
                                    
                                
                           
                      
                  
             
        
    

*Walk Away* from
arguments that lead you to nowhere but anger.

*Walk Away* from
people who deliberately put you down.

*Walk Away* from
any thought that reduces your worth.

*Walk Away* from
failures and fears that stiffle your dreams.

*Walk Away* from
people who do not care for you and who are opportunistic.

The more you
*Walk Away* from
things that poison your soul,
The Happier Your Life Will Be.

*Give Yourself A Walk*
Towards Happiness and ur GOAL setting.

*Give Yourself A Walk*
to god's house and worship Him in Truth and in Spirit. May god help us to walk in the right direction. Walk towards Goodness