Wednesday 23 May 2018

What is Nipah Virus

Q : What is Nipah Virus ?

A : Nipah virus was initially discovered when it caused an outbreak of brain fever among pig farmers in Malaysia.

Q : Should I be worried ?

A :  A little. As it is transmitted from person to person and there is no effective antiviral therapy for this infection .

Q : Who is at high risk ? How is it transmitted ?

A : 1. People working with pigs and consuming pigs.

2. Farmers who come in contact with bats.

3. Consuming Fruits which are already bitten by bat.

4. Contact with people who already have Nipah virus infection.

Q : What are the early symptoms  ?

A : The initial presentation is non-specific, characterized by the sudden onset of fever, headache, muscle pain , nausea and vomiting. Neck rigidity and photophobia are also  seen.
The disease rapidly progresses, with deterioration in consciousness *leading to coma within five to seven days.*

Q :How is it diagnosed ?

A : The rdiagnosis is by ELISA which is currently  done at National institute of Virology, Pune.

Q : How is it treated ?

A : Supportive care is the mainstay of treatment and infected patients may require intensive care monitoring.
*THERE IS NO APPROVED  SPECIFIC THERAPY FOR THIS INFECTION* . So prevention is the only cure !

Q : How do i prevent it ?

A : 1. Avoid contact with pigs and pig handlers  .

2. Maintain personal hygeine and intensive hand washing practices

3. *Avoid consuming raw fruits,* Consume only well cooked, clean, home made food till the outbreak settles down.

4. Preferably use N95 mask while travelling or working in public places to avoid person to person transmission.

5. Be aware of the symptoms and report to the doctor immediately for early diagnosis and treatment.

Share this message with all your cared ones ,
*Together, we can fight and win !* 

- Dr.Arjun.M.B, MD
Dr.R.M.L Hospital, New Delhi.
(National Nodal Centre for Control of yellow fever and other communicable diseases)

Saturday 12 May 2018

आयुर्वेद दोहे

आयुर्वेद दोहे

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!
*धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!*
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!
*ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!*
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!
*प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!*
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!
*ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!*
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!
*भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!*
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!
*प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!*
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!
*प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!*
तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!
*भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!*
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!
*घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!*
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!
*अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!*
पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!!
*रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!*
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!
*सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!*
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुजीत!!
*देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!*
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^
*दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!*
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!
*सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!*
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!
*भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!*
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!
*अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!*
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!
*पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!*
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!
*अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!*
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!
*फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!*
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!
*चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!*
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!
*रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!*
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!
*भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!*
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!
*लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!*
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!
*चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !*
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!
*सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!*
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!
*सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!*
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!
*हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!*
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!
*अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!*
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!
*तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!*
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग।
*कृपया इस जानकारी को जरूर आगे बढ़ाएं*

Saturday 5 May 2018

घी खाइए, सेहत का खजाना पाइए

घी खाइए, सेहत का खजाना पाइए :

(1) तेल बार-बार गर्म करने से खराब होते है और ट्रांस फैट में बदलते है यही ट्रांस फैट शरीर में जमता है और बीमारियों का कारण बनता है। परंतु इसके विपरीत घी को उबाल कर ही शुद्ध किया जाता है। सबसे ज्यादा स्मोक पॉइंट होने के कारण घी अधिक तापमान को भी सहन करने की क्षमता रखता है।

(2) घी न केवल हमारे भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि भोजन में घी होने से, कम मात्रा में भोजन करने पर ही भूख शांत होने लगती है। इस प्रकार हम अधिक मात्रा में खाने से बचते हैं।

(3) घी हमारे आमाशय की जठराग्नि को उसी प्रकार प्रचंड करता है जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि को। अतः घी न केवल स्वयं शीघ्रता से पचता है बल्कि भोजन के अन्य अवयवों को भी पचाता है।

(4) घी में विटामिन ए, डी, इ, के एवं बी12 प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें से विटामिन A व D एंटीआक्सीडेंट होते हैं । अतः घी स्वयं एक एंटीआक्सीडेंट की तरह काम करता है और हमारे शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाता है। घी हमारे जोड़ों को मजबूती देता है।

(5) घी हमारे शरीर में 'गुड गट बैक्टीरिया' को बढ़ाता है जो कि भोजन के पाचन एवं अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। घी में मौजूद फैट को 'प्रीबायोटिक' का दर्जा दिया गया है I इस प्रकार भोजन में घी का होना अपच, कब्जी, पेट के फुलाव आदि का स्वाभाविक इलाज है ।

(6) इसी प्रीबायोटिक गुण के कारण घी सबसे अच्छा anti allergen भी है क्योंकि तरह-तरह की फूड एलर्जी का कारण आंतों के बैक्टीरिया का कम होना है ।

(7) कच्चे दूध से निकाले गए सफेद मक्खन (white butter) में wulzen factor मौजूद होता है जो जोड़ों की सामान्य बीमारियों एवं गठिया में लाभकारी होता है। wulzen factor को anti stiffness factor एवं anti arthritic nutrient भी कहते है।

(8) घी में मौजूद तत्व कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA) शरीर की चर्बी को गलाने में सहायक होता है। अतः जिस प्रकार लोहा लोहे को पिघला देता है उसी प्रकार शरीर की चर्बी को गलाने के लिए हमें गुड फैट की आवश्यकता होती हैl

(9) घी में मौजूद मुख्य फैटी एसिड Butyric acid आंतों के लिए बहुत अच्छा होता हैI Butyric acid आंतों की सूजन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, UC, CD, कोलोन कैंसर के अलावा prediabetics n diabetics में भी बहुत फायदेमंद होता हैl इसके अलावा घी में मौजूद फैटी एसिड झुर्रियों रहित, दमकती त्वचा प्रदान करते है। बालों में मजबूती एवं चमक देते हैं।

(10) भोजन में घी की कमी होने से ही भोजन के उपरांत मीठा खाने की इच्छा बनी रहती है।

(11) घी भोजन की ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) को कम करता है अर्थात घी के प्रयोग से, लिए गए भोजन की ग्लूकोस, खून में धीरे धीरे पहुंचती है। ऐसा डायबिटीज एवं दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यही कारण है कि पुराने जमाने से ही खिचड़ी, दाल चावल एवं अन्य कई व्यंजनों में ऊपर से घी डालकर खाया जाता है। खून में ग्लूकोज धीरे-धीरे रिलीज होने से शरीर एवं दिमाग में ग्लूकोस का सतत् लेवल बना रहता है।

(12) घी में मौजूद फैट आसानी से दिमाग में पहुंचते हैं और सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने में लाभदायक होते हैं।

(13) 2015 में  US FDA ने स्वीकार किया कि भोजन में कोलेस्ट्रॉल लेने और दिल की बीमारियों में कोई संबंध नहीं है एवं कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन को ना लेने का कोई कारण नहीं है। परंतु 30- 40 साल तक जो गलत धारणा बनी हुई थी उसके चलते हमने ना केवल घी बल्कि मूंगफली, काजू, नारियल जैसी बेहद लाभदायक चीजों को भी खाना छोड़ दिया था। और तो और दूध भी लो फैट ही लेने लगे।

(14) जून 2014 में UK FOOD GUIDELINES (NICE) ने माना कि भोजन में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स लेने की आवश्यकता कतई नहीं है। क्योंकि यदि ओमेगा 3 एवं ओमेगा 6 फैटी एसिड्स को भोजन में ज्यादा लिया जाता है तो यह शरीर में ट्रांस फैट में बदल जाते हैं और अंगों को क्षति पहुंचाते हैं। पिछले 20-30 वर्षों से इन्हीं ओमेगा 3 एवं ओमेगा 6 फैटी एसिड्स के नाम पर बाजार में सफोला जैसे तेलों को खूब प्रचारित किया गया और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया।

(15) चाहे हम घी खाएं या तेल सभी में समान कैलोरी होती है। सभी फैट के 1 ग्राम से 9 कैलोरी मिलती है।

(16) घी के प्रति हमारे मन में यह डर फ़ूड इंडस्ट्री की काली करतूतों की वजह से ही पनपा है क्योंकि यदि घी एवं अन्य पारंपरिक कच्ची घानी के तेलों को को बदनाम न किया जाता तो फ़ूड इंडस्ट्री सफोला, फार्च्यून रिफाइंड, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल जैसे तेलों को, दिल के लिए लाभकारी बताकर घर-घर ना पहुंचा पाती।

(17) इसलिए सभी व्यक्तियो को चाहे वे अपच, मोटापा, शुगर, BP या दिल की बीमारी से ही ग्रसित क्यों ना हो, तीन समय के भोजन में शुद्ध देशी घी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। यदि अभी तक घी से परहेज कर रहे थे तो 4-5 चम्मच घी से आज ही शुरुआत कीजिए।

यदि अभी भी आप घी के प्रति असमंजस में हैं तो दिमाग की सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने के लिए घी खाइए 🙏🙏

Monday 22 January 2018

अमरुद की पत्तियों के आश्चर्यजनक लाभ

●अमरुद की पत्तियों के आश्चर्यजनक लाभ●
अमरुद के फल ही नहीं पत्तियों में भी स्वास्थ्य के लिए विशेष गुण हैं, जानिये
अमरुद की पत्तियों की चाय भोजन को शर्करा बनाने से रोकती हैं, इस कारण मधुमेह रोगियों के लिए अमरुद के पत्तों की चाय लाभदायक है।
एच.डी.एल. में परिवर्तन किये बिना अमरुद के पत्तों की चाय खराब कोलेस्ट्रोल (एल.डी.एल) कम करती है।
अमरुद पत्तियों की चाय में रोगाणुरोधी गुण होने से अतिसार, दस्त और पेचिश एवं पेट के रोगों में लाभदायक है।
अमरुद के पत्तियों की चाय विषाक्त भोजन की स्थिति में भी लाभदायक है।
श्वास नाली के रोगों और खांसी में अमरुद पत्तों की चाय लाभदायक है।
दन्त रोगों और मसूड़ों की समस्या में अमरुद की पत्तियां चबाना लाभदायक है।
अमरुद की 9 पत्तियों को 5 कप जल में जल के आधा रहने तक पका काढ़ा डेंगू रोग में लाभदायक है।
बढे प्रोस्टेट और कैंसर में भी अमरुद के पत्तों की चाय लाभदायक है।
कुचली अमरुद की पत्तियां छोटे काटने के ज़ख्म और रगड़ पर लगाने से संक्रमण से बचाता है।
कान के बाहरी भाग में संक्रमण होने पर अमरुद के पत्तों की चाय को ठन्डे होने पर संक्रमित भाग को धोएं।
एलर्जी और कीड़े-मकोड़े से काटे स्थान पर कुचले अमरुद के पत्तों को लगाने से लाभ होता है।
चेहरे की झुर्रियों, मुहासों और मस्सों पर अमरुद के पत्तों को थोड़े जल में पीस कर लगाने से लाभ होता है।
अमरुद के पत्तों की चाय को ठंडा कर बाल धोने से बाल गिरना बंद होता है।

FINANCIAL TIPS FOR 2018

FINANCIAL TIPS FOR 2018
1 Avoid buying property on Loans as it eats most of your earnings unless you have a clear plan for its repayment.It's important to monitor cash flow.Though,the house will be your asset,your liability will be much more

2 Start a SIP at a very young age.Try to save atleast 15–25 % of your earnings

3 Avoid buying a car unless you use it everyday

4 Do not let this sentence scare you.Mutual fund investments are subject to market risks.Please read the offer documents carefully before investing.Most people avoid investing in Mutual Funds just because of this one warning. Yes, there is a market risk,but look at the history and growth of Mutual Funds

5 Try having a simple wedding

6 Atleast 20% of your wealth should be liquid so you can utilize it when necessary

7 Considering inflation, you are actually losing money if it is in the Savings Bank Account.Do not keep huge money in your Savings Bank Account

8 If you invest in stocks,pay due attention

9 If you invest in stocks have a separate account for delivery investment and Intraday investment.It is easy to monitor this way and also makes tax calculation easy

10 Do not have a belief that property and car make you rich.It's what you save and invest,that is important

11 Never invest in Insurance for returns. Insurance is not an investment option.It is a risk management tool

12 Never use Credit Cards for lavish spending.Use Credit Cards intelligently and for needs not for wants

13 Cancel all Credit Cards before you die.Or inform the family about all your Accounts,Credit Cards,Loans and Savings,now itself.Even a small residue will cost your family much

14 Invest on yourself and then on other investments

15 Always try to balance your earnings with your savings first,then on  spending and loans.Never take unnecessary Loans.Always have reserves and utilize them and unless no other go,never take loans

16 Always have a plan for future events on your career, life, spending and finance

17 Always have a reserve on your savings for contingency and urgent situations

18 Your personal life and health are the most important investment.Do have a regular health check and do healthy workout every day.Stay healthy and live happily

19 Always remember death can come anytime ..... so please do buy adequate Term Insurance if you have dependents

20 Must Prepare a Will.It may avoid unnecessary fights after you die

Sunday 7 January 2018

चावल खाएं सेहत पाएं वजन घटाएं

चावल खाएं सेहत पाएं वजन घटाएं

हम पूजा में भगवान को अक्षत चढ़ाते हैं
6 माह के बच्चे को सबसे पहले अन्न में चावल दिया जाता है
हम बीमार होने पर चावल या खिचड़ी खाते हैं
हम बुजुर्गों को चावल या खिचड़ी खिलाते हैं
यहां तक कि हम पिंडदान भी चावल का करते हैं l

क्योंकि वास्तव में चावल सेहत देता है

चावल में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, एसेंशियल अमीनो एसिड, विटामिंस एवं मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं l

पके हुए चावल में स्टार्च 10% से भी कम रह जाता है ।

चावल ही ऐसा अन्न है जिसे पकाने में सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है इसलिए चावल खाने पर पेट जल्दी भरता है।

चावल से आंतों मे अच्छे बैक्टीरिया पनपते हैं जो पाचनतंत्र मजबूत करते हैं ।

चावल का प्रोटीन शाकाहारी लोगों के लिए  सर्वोत्तम प्रोटीन होता है जो कि बेहद सुपाच्य होता है ।

चावल में शरीर के लिए अति आवश्यक अमीनो एसिड जैसे कि lysine, methionine, branched chain amino acids, tryptophan इत्यादि होते हैं l

Lysine, ग्रोथ हार्मोन बनाने में मदद करता है जो कि हमारे शरीर की ग्रोथ और रिपेयर के लिए आवश्यक होता है l गहरी नींद में ग्रोथ हार्मोन का लेवल ज्यादा होता है और शरीर की कोशिकाओं, हड्डियों, मांसपेशियों एवं skin की रिपेयरिंग करता है l जिससे यह सभी अंग मजबूत बनते हैं l बाल मजबूत होते हैं और चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं l

Tryptophan amino acid, सिरोटोनिन नामक हार्मोन बनाता है जो कि अनिद्रा एवं डिप्रेशन की समस्या मे लाभदायक होता है l इसलिए रात के भोजन में चावल खाना ज्यादा लाभकारी होता हैl

Methionine amino acid, कॉलेजन फाइबर बनाता है जो स्किन और bones आदि को रिपेयर करके मजबूत बनाता है एवं methionine से एक प्रभावशाली एंटीआक्सीडेंट ग्लूटाथिओन (glutathione) बनता है जो शरीर से टॉक्सिन  निकालकर हमें बीमारियों से बचाता है और यंग रखता हैl

Branched chain amino acids भी चावल में प्रचुर मात्रा में होते हैं जोकि मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और चर्बी घटाते हैं। branched chain amino acids को जिम जाने वाले, सेहत के प्रति सजग लोग सप्लीमेंट के रूप में लेते हैं ।

चावल में मौजूद फाइबर कब्जी की समस्या से मुक्ति दिलाते हैंl

चावल को दालें, दही या सब्जियों के साथ मिलाने पर एवं ऊपर से घी डालकर खाने से उसकी ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI)कम हो जाती है जिससे ब्लड में शुगर धीरे-धीरे निकलती है जो कि केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि सभी व्यक्तियो के लिए बेहद लाभकारी होता है एवं बीमारियों से बचाए रखता है ।

चावल किसी ब्रांड के ना लाकर लोकल ही लाने चाहिए । लोकल खाद्य पदार्थो में मौजूद बैक्टीरिया हमारे शरीर के बैक्टीरिया के समान होने से एलर्जी की संभावना नहीं होती है ।

चावल डबल पॉलिश के नहीं लाने चाहिए बल्कि सिंगल पॉलिश या hand pounded लाने चाहिए । क्योंकि double polish में चावल के सभी फाइबर नष्ट हो जाते हैं ।

ब्राउन राइस नहीं खाना चाहिए क्योंकि वह पाचन की दृष्टि से भारी होते हैं एवं उनमें मौजूद अत्यधिक फाइबर अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में अवरोध पैदा करते हैं ।

साधारण व्यक्ति, डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति, मोटापा या हाई ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति एवं सभी व्यक्ति दिन में 3 बार आराम से चावल उसी प्रकार खा सकते हैं जैसे वे गेहूं या अन्य अनाज खा सकते हैं।

चावल को बदनाम करने के पीछे फ़ूड इंडस्ट्री की महत्वकांक्षाओं भरी साजिश है क्योंकि यदि गेहूं और चावल को बदनाम न किया जाता तो पैकेट में आने वाले हाई फाइबर ओट्स, कॉर्नफ्लेक्स मल्टीग्रेन आटा, मल्टीग्रेन बिस्किट, लो कैलोरी, लो कोलेस्ट्रॉल, ट्रांस फैट फ्री फूड प्रोडक्ट्स इत्यादि घर घर कैसे पहुंचाए जाते क्योंकि चावल और गेहूं भारत में प्रधान अनाजों के रुप में खाए जाते थे ।

तुलसी पूजन दिवस 25 दिसम्बर

आओ मनाएं "तुलसी पूजन दिवस" 25 दिसम्बर 2017....!!
सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है।
यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है।
तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिस घर में प्रतिदिन तुलसी-पूजा होती है उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।
घर मे तुलसी की उपस्थिति मात्र से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है।
गरुड पुराण के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं।

आओ मनाएं "तुलसी पूजन दिवस" 25 दिसम्बर 2017

जनेऊ और इसकी महत्वता

जनेऊ और इसकी महत्वता

*भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥

जनेऊ क्या है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।

तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और  यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।

पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी है।

वैदिक धर्म में प्रत्येक  आर्य का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। प्रत्येक  आर्य को जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे।

जनेऊ की लंबाई : यज्ञोपवीत की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसका अभिप्राय यह है कि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए।

चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर कुल 32 विद्याएं होती है। 64 कलाओं में जैसे- वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि।

जनेऊ के नियम :
1.यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इसका स्थूल भाव यह है कि यज्ञोपवीत कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो। अपने व्रतशीलता के संकल्प का ध्यान इसी बहाने बार-बार किया जाए।

2.यज्ञोपवीत का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए, तो बदल देना चाहिए। खंडित यज्ञोपवीत शरीर पर नहीं रखते। धागे कच्चे और गंदे होने लगें, तो पहले ही बदल देना उचित है।

4.यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। साफ करने के लिए उसे कण्ठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। भूल से उतर जाए, तो प्रायश्चित करें ।

5.मर्यादा बनाये रखने के लिए उसमें चाबी के गुच्छे आदि न बांधें। इसके लिए भिन्न व्यवस्था रखें। बालक जब इन नियमों के पालन करने योग्य हो जाएं, तभी उनका यज्ञोपवीत करना चाहिए।

* चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

*वैज्ञानिकों अनुसार बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है।*

*कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है।*

* कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।

* माना जाता है कि शरीर के पृष्ठभाग में पीठ पर जाने वाली एक प्राकृतिक रेखा है जो विद्युत प्रवाह की तरह काम करती है। यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कमर तक स्थित है।
जनेऊ धारण करने से विद्युत प्रवाह नियंत्रित रहता है जिससे काम-क्रोध पर नियंत्रण रखने में आसानी होती है।

* जनेऊ से पवित्रता का अहसास होता है। यह मन को बुरे कार्यों से बचाती है। कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र अहसास होने से ही मनुष्य भ्रष्टाचार से दूर रहने लगता है।

Monday 25 December 2017

Imaginary ropes

A farmer was taking three of his donkeys for sale to the market.

On the way he saw a river and decided to have a dip.
Since he had only two ropes to tie the donkeys to a tree, he looked around wondering how to tie  the third one.

He saw a sage and sought his help if he could give him a rope to tie the third donkey. The sage did not have a rope but had a suggestion.

He told the farmer, “let the third donkey see you tying the other two donkeys to a tree.  Then you pretend to tie this one also”.

The farmer did as he was told and went for a dip in the river. Coming back, he thanked the sage and saw that the donkeys stood exactly at the same spot where he had left them.

He untied the two donkeys and patted the third one to start moving. After going a little distance, imagine his surprise when the third donkey stood still at the same spot.

Cajoling, kicking or talking did not help with the donkey, refusing to move from the spot. The farmer went back to sage, who told him, “untie the third donkey”.

“But”, protested the farmer, “I have not tied him”. The sage asked, “You know it. But does the donkey know that?”
Sure enough the farmer went back and pretended to untie the donkey. The donkey moved immediately as though released and walked over to join the other two donkeys.

Moral of the story: We are all, also tied up by too many  imaginary ropes... which are really non-existent. The only truth is there are no boundaries in real life and anyone can stretch to any extent.

Keep trying. Keep thinking of your goals. You WILL achieve it. As you start moving ahead, your imaginary ropes will disappear.

Monday 4 December 2017

Interesting information about blood

1. खून का पहला ट्रांसफर 1667 में दो कुत्तों के बीच किया गया था।

2. दुनिया का पहला Blood Bank, 1937 में बनाया गया था।

3. एक बूंद खून में 10,000 white blood cells और 250,000 प्लेटलेट्स होती है।

4. हमारे शरीर में रक्त का 70% भाग red blood cell के अंदर मौजूद hemoglobin में, 4% भाग मांसपेशियों के प्रोटीन मायोग्लोबिन में, 25% भाग लीवर, अस्थिमज्जा, प्लीहा व गुर्दे में होता है और बाकि बचा 1% रक्त प्लाजमा के तरल अंश व कोशिकाओं के एंजाइम्स में होता है।

5. हर 3 सेकेंड में भारत में किसी न किसी को खून की आवश्यकता होती है। हर दिन दुनिया में 40,000 यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। 3 में से 1 व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी खून की आवश्यकता पड़ती है।

6. हमारी नसों में खून 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है और पूरे दिन में लगभग 9600 km की दूरी तय करता है।

7. यदि हमारा दिल शरीर से बाहर खून पंप करे तो यह खून को 30 मीटर ऊपर उछाल सकता है।

8. मजबूरी में नारियल पानी को ब्लड प्लाज्मा की जगह चढ़ाया जा सकता है।

9. मनुष्य का रक्त केवल 4 तरह (O, A, B, AB) का होता हैं लेकिन गायों में लगभग 800, कुत्तो में 13 और बिल्लियों में 11 तरह का रक्त पाया जाता हैं.

10. सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती है नर मच्छर शाकाहारी होते है ये सिर्फ मीठे तरल पदार्थ पीते है। मादा मच्छर अपने वजन से 3 गुना ज्यादा खून पी सकती है।

11. आपको लगता होगा कि मच्छर थोड़ा सा खून पीते है लेकिन आपको बता दे कि 12 लाख मच्छर आपका पूरा खून चूस जाएगे। मच्छर “O” ग्रुप का खून चूसना पसंद करते है।

12. एक नवजात शिशु में सिर्फ 1 कप (250ml) खून होता है और एक जवान आदमी में लगभग 5 लीटर खून हो सकता है। मतलब, शरीर के कुल वजन का 7%.

13. मौत के बाद शरीर का जो अंग धरती के सबसे नजदीक होता हैं खून का बहाव भी उसी तरफ हो जाता हैं और फिर खून जम भी जाता हैं एसा शायद गुरूत्वाकर्षण के कारण होता है।

14. गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाएँखून दान नही कर सकती।

15. हमारे शरीर में लगभग 0.2 मिलीग्रॅाम तक सोनाहोता है और इसकी सबसे आधिक मात्रा खून में पाई जाती है। 40,000 लोगो के खून में से 8 ग्राम सोना निकाला जा सकता है।

16. जापान में लोग ब्लड ग्रुप के माध्यम से ही आदमी के व्यक्तित्व का अंदाजा लगा लेते है।

17. James Harrison, नाम का व्यक्ति पिछले 60 सालों में 1,000 बार खून दान कर चुका है और 20 लाख लोगों की जिंदगी बचा चुका है।

18. ब्राजील देश में एक आदिवासी समूह है बोरोरो। हैरानी की बात ये है कि इस समूह के सभी लोगो का एक ही ब्लड ग्रुप “O” है।

19. लगभग सभी में लाल रंग का खून पाया जाता है लेकिन मकड़ी और घोंघा में हल्के नीले रंग का खून पाया जाता है।

20. HP प्रिंटर की काली स्याही खून से ज्यादा महंगी है।

21. स्वीडिश में जब कोई खून दान करता है तो उसे “Thank You” का मैसेज किया जाता है और ऐसा ही मैसेज तब भी किया जाता है जब उसका खून किसी के काम आता है।

22. शारीरक तौर पर एक ही समय पर पेशाब करना और रक्त देना असंभ्व है।

23. कई बार जब हम आसमान की तरफ देखते है तो हमारी आँखो के सामने थोड़े सफेद-सफेद से डाॅट्स घूमने लगते है। दरअसल ये हमारी white blood cells होती है।

24. रक्त कोशिकाओं को पूरी बाॅडी का चक्कर लगाने में केवल 30 second लगते है, ये 20 सेकंड में 1,12,000 km की दूरी तय कर सकती है.

25. केकड़े का नीलम जैसा खून धरती पर इकलौता ऐसा पदार्थ है जिसका प्रयोग ड्रग्स में पाए जाने वाले दूषित पदार्थों का टेस्ट करने के लिए किया जाता है।

26. यदि रक्त वाहिकाओं को सिरे से सिरे तक मिला लिया जाए तो ये 2 बार धरती को लपेट सकती है।

27. अभी तक कृत्रिम खून नही बनाया जा सका है। ये सिर्फ भगवान की देन है।

28. Red Blood Cells: ये oxygen को लेकर चलती है और co2 को खत्म करती है।

29. White Blood Cells: ये शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है।

30. Plasma: ये बाॅडी में प्रोटीन लेकर चलता है ये खून को जमने से बचाता है।

31. Platelets: ये खून की जमने में मदद करती है, इन्हीं की वजह से चोट लगने के कुछ देर बाद खून निकलना बंद हो जाता है।

तो दोस्तों आपको ये जानकारी रोचक लगी होगी।