Wednesday, 18 January 2017

जन धन में खाता

कस्टमर :-
जन धन में खाता
खुलवाना है....!!

बैंक मैनेजर :-
खुलवा लो...!!

कस्टमर :-
क्या ये जीरो बैलेंस
में खुलता है.....!!

बैंक मैनेजर :-
(मन ही मन में .......
साला पता है फिर
भी पूछ रहा है)
हाँ जी फ्री में खुलवा लो....!!

कस्टमर : -
इसमें सरकार
कितना पैसा डालेगी ?

बैंक मैनेजर : -
जी अभी तो कुछ
पता नहीं....!!

कस्टमर : -
तो मैं ये खाता
क्यों खुलवाऊँ ?

बैंक मैनेजर : -
जी मत खुलवाओ....!!

कस्टमर : -
फिर भी सरकार
कुछ तो देगी.....!!

बैंक मैनेजर :-
आपको फ्री में
ATM CARD
दे देंगे.....!!

कस्टमर :-
जब उसमे पैसा
ही नहीं होगा तो
एटीएम का
क्या करूँगा?

बैंक मैनेजर : -
पैसे डलवाओ
भैया तुम्हारा खाता है.....!@

कस्टमर :-
मेरे पास पैसा
होता तो मैं पहले
नहीं खुलवा लेता,
तुम खाता खोल
रहे हो तो तुम
डालो न पैसे.....!!

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
खुलवा रही है.....!!

कस्टमर :-
तो ये सरकारी
बैंक नहीं है ?

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
तुम्हारा बीमा फ्री
में कर रही है ,
पुरे एक लाख का ,

कस्टमर : -
(खुश होते हुए)
अच्छा तो ये
एक लाख मुझे
कब मिलेंगे?

बैंक मैनेजर :-
(गुस्से में)
जब तुम मर
जाओगे तब
तुम्हारी बीबी
को मिलेंगे.....!!

कस्टमर :-
(अचम्भे से)
तो तुम लोग मुझे
मारना चाहते हो?
और मेरी बीबी से
तुम्हारा क्या मतलब है?

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई ये हम
नहीं सरकार चाहती है...!!

कस्टमर :-
(बीच में बात काटते हुए) तुम्हारा मतलब
सरकार मुझे
मारना चाहती है?

बैंक मैनेजर :-
अरे यार मुझे नहीं पता, तुमको खाता खुलवाना है
या नहीं?

कस्टमर : -
नहीं पता का
क्या मतलब?
मुझे पूरी बात बताओ ,

बैंक मैनेजर : -
अरे अभी तो
मुझे भी पूरी
बात नहीं पता,
मोदी ने कहा कि
खाता खोलो तो
हम खोल रहे हैं.....!!

कस्टमर :'
अरे नहीं पता तो
यहां क्यों बैठे हो,
(जन धन के पोस्टर
को देखते हुए)
अच्छा ये 5000 का ओवरड्राफ्ट क्या है?

बैंक मैनेजर : -
मतलब तुम अपने
खाता से 5000
निकाल सकते हो ,

कस्टमर : -
(बीच में बात काटते हुए)
ये हुई ना बात,
ये लो आधार कार्ड,
2 फोटो और
निकालो 5000......!!

बैंक मैनेजर :-
अरे यार ये तो 6
महीने बाद मिलेंगे.......!!

कस्टमर :-
मतलब मेरे 5000
का इस्तेमाल 6
महीने तक तुम
लोग करोगे......!!

बैंक मैनेजर : -
भैया ये रुपये ही
6 महीने बाद आएंगे......!!

कस्टमर : -
झूठ मत बोलो,
पहले बोला कि
कुछ नहीं मिलेगा,
फिर कहा एटीएम मिलेगा,
फिर बोला बीमा मिलेगा,
फिर बोलते हो 5000 रुपये मिलेंगे,
फिर कहते हो
कि नहीं मिलेंगे,
तुम्हे कुछ पता भी है?

बैंक मैनेजर बेचारा :-
अरे मेरे बाप कानून की कसम,
भारत माँ की कसम,
मैं सच कह रहा हूँ,
मोदी जी ने अभी कुछ नहीं बताया है,....
तुम चले जाओ,......
खुदा की कसम, ...
तुम जाओ,....
मेरी सैलरी इतनी नहीं है
कि .......
एक साथ
ब्रेन हैमरेज और हार्ट
अटैक दोनो का
ईलाज
करवा सकु.......!!

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जितना भेजना Qki
ये तो अभी लॉन्च हुआ
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अभी तो
market में भी
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आया hai.....!!

Monday, 16 January 2017

तुलना

बेल बजी तो द्वार खोला। द्वार पर शिवराम खड़ा था। शिवराम हमारी कॉलोनी के लोगों की गाड़ियाँ, बाइक्स वगैरह धोने का काम करता था।

" साहब, जरा काम था। "

" तुम्हारी पगार बाकी है क्या, मेरी तरफ ? "

" नहीं साहब, वो तो कब की मिल गई। पेड़े देने आया था, बेटा दसवीं पास हो गया। "

" अरे वाह ! आओ अंदर आओ। "

मैंने उसे बैठने को कहा। उसने मना किया लेकिन फिर, मेरे आग्रह पर बैठा। मैं भी उसके सामने बैठा तो उसने पेड़े का पैकेट मेरे हाँथ पर रखा।

" कितने मार्क्स मिले बेटे को ? "

" बासठ प्रतिशत। "

" अरे वाह ! " उसे खुश करने को मैं बोला।
आजकल तो ये हाल है कि, 90 प्रतिशत ना सुनो तो आदमी फेल हुआ जैसा मालूम होता है। लेकिन शिवराम बेहद खुश था।

" साहब, मैं बहुत खुश हूँ। मेरे खानदान में इतना पढ़ जाने वाला मेरा बेटा ही है। "

" अच्छा, इसीलिए पेड़े वगैरह ! "

शिवराम को शायद मेरा ये बोलना अच्छा नहीं लगा। वो हलके से हँसा और बोला, " साहब, अगर मेरी सामर्थ्य होती तो हर साल पेड़े बाँटता। मेरा बेटा बहुत होशियार नहीं है, ये मुझे मालूम है। लेकिन वो कभी फेल नहीं हुआ और हर बार वो 2-3 प्रतिशत नंबर बढ़ाकर पास हुआ, क्या ये ख़ुशी की बात नहीं ? "
" साहब, मेरा बेटा है, इसलिए नहीं बोल रहा, लेकिन बिना सुख सुविधाओं के वो पढ़ा, अगर वो सिर्फ पास भी हो जाता, तब भी मैं पेड़े बाँटता। "

मुझे खामोश देख शिवराम बोला, " माफ करना साहब, अगर कुछ गलत बोल दिया हो तो। मेरे बाबा कहा करते थे कि, आनंद अकेले ही मत हजम करो बल्कि, सब में बाँटो। ये सिर्फ पेड़े नहीं हैं साहब - ये मेरा आनंद है ! "

मेरा मन भर आया। मैं उठकर भीतरी कमरे में गया और एक सुन्दर पैकेट में कुछ रुपए रखे।

भीतर से ही मैंने आवाज लगाई, " शिवराम, बेटे का नाम क्या है ? "

" विशाल। " बाहर से आवाज आई।

मैंने पैकेट पर लिखा - प्रिय विशाल, हार्दिक अभिनंदन ! अपने पिता की तरह सदा, आनंदित रहो !

" शिवराम ये लो। "

" ये किसलिए साहब ? आपने मुझसे दो मिनिट बात की, उसी में सब कुछ मिल गया। "

" ये विशाल के लिए है! इससे उसे उसकी पसंद की पुस्तक लेकर देना। "

शिवराम बिना कुछ बोले पैकेट को देखता रहा।

" चाय वगैरह कुछ लोगे ? "

" नहीं साहब, और शर्मिन्दा मत कीजीए। सिर्फ इस पैकेट पर क्या लिखा है, वो बता दीजिए, क्योंकि मुझे पढ़ना नहीं आता। "

" घर जाओ और पैकेट विशाल को दो, वो पढ़कर बताएगा तुम्हें। " मैंने हँसते हुए कहा।

मेरा आभार मानता शिवराम चला गया लेकिन उसका आनंदित चेहरा मेरी नजरों के सामने से हटता नहीं था।
आज बहुत दिनों बाद एक आनंदित और संतुष्ट व्यक्ति से मिला था।

आजकल ऐंसे लोग मिलते कहाँ हैं। किसी से जरा बोलने की कोशिश करो और विवाद शुरू। मुझे उन माता पिताओं के लटके हुए चेहरे याद आए जिनके बच्चों को 90-95 प्रतिशत अंक मिले थे। अपने बेटा/बेटी को कॉलेज में एडमीशन मिलने तक उनका आनंद गायब ही रहता था।

मोगरे के फूल की खुशबू सूंघने में कितना समय लगता है ?

सूर्योदय-सूर्यास्त देखने के कितने पैसे लगते हैं ?

स्नान करते हुए अगर आपने गीत गाया, गुनगुनाया, तो कौन आपसे कॉम्पिटीशन करने आने वाला है ?

बारिश हो रही है ? बढ़िया है - जाओ भीगो उस बारिश में !

कुछ भी करने के लिए आपको मूड़ लगता है क्या ?

इंसान के जन्म के समय उसकी मुट्ठियाँ बंद होती हैं।
ईश्वर ने एक हाँथ में आनंद और एक में संतोष भरके भेजा है।

दूसरों से तुलना करते हुए
और पैसे,
और कपड़े,
और बड़ा घर,
और हाई पोजीशन,
और परसेंटेज...!

इस *और* के पीछे भागते भागते उस आनंद के झरने से कितनी  दूर चले आए हम !!

दिल को  छू लेने वाली ऐसी  37-लाइन

*दिल को  छू लेने वाली ऐसी  37-लाइन*

1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*

2. *ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं*

3. *कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं*, *और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं*

4. *इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म*

5. *सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन*
*धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा*

6. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा*

7. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो*

8. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही*

9. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं*

10. *जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं*

11. *हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो*

12. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे*

13. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं*

14. *जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए*

15. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..*
*भाग लो.. (run away)*
*भाग लो..(participate)*
*पसंद आपको ही करना हैं*

16. *इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे*

17. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं*

18. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए*

19. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा*

20. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना*

21. *कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो*

22. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं*

23. *मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें*

24. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं*

25. *संस्कारो से भरी कोई धन दौलत नही है*

26. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं*

27. *दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं*

28. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर*

29. *घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा*

30. *जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा*

31. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती*

32. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता*

33. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)*

34. *मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है*

35. *जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं*

36. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते* ।

37. *अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता*
    
*उम्मीद करता हूँ की आप को ये खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी और आप की अंदरुनी खूबसूरती में हंसमुखी निखार आये*
*बस यही प्रार्थना करता हूँ हँसते रहिये हँसाते रहिये*

Six great confusions Still unresolved

Six great confusions
Still unresolved

1. At a movie theatre, which arm rest is yours?

2. In the word scent, is "S"  silent or "C"?

3. If people evolve from monkeys,
why are monkeys still around?

4. Why is there a 'D' in fridge,
but not in refrigerator?

5. Who knew what time it was
when the first clock was made?

And now sixer ....

6. If pro and con are opposites,

wouldn't the opposite of progress be...congress?

प्रेरक कथा

"प्रेरक कथा"...

एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,

उसने कहा कि
"ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"

उसने पैकेट खोला
और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।

ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे,
परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी,
और इसलिए इसे बचा कर रखा था।

उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,
उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।

उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-
किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना,
जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,
कल का कुछ भरोसा नहीं है।

मुझे लगता है,
उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।

मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,

अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,
और काम का कम टेंशन लेता हूँ।

मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,
डर-डर के,
रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,
और हम पिछड़ जाते हैं।

अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।

अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..

अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है,
तो मैं जाता हूँ।

अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,
मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,

'एक दिन'
'किसी दिन'
'कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।

अगर कुछ देखने,
सुनने या करने लायक है,
तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।

मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,
अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,

शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती।
शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।

अगर मुझे पता चले
कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,
इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।

नहीं..

इन सब इच्छाओं को तो
आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..!

हर दिन,
हर घंटा,
हर मिनट,
हर पल विशेष है,
खास है...बहुत खास है।

प्यारें दोस्तों..!
जिंदगी का लुत्फ उठाइए,
आज में जिंदगी बसर कीजिये।

*क्या पता कल हो न हो*,
वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।

*अगर आपको ये मेसेज मिला है*,
इसका मतलब है,
*कि कोई आपकी परवाह करता है*,
केयर करता है,

*क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं*,
ध्यान रखते हैं।

*अगर आप*
अभी बहुत व्यस्त हैं,
और,
इसे किसी "अपने" को बाद में या,
*किसी और दिन भेज देंगे*..

*तो याद रखिये*
कोई और दिन बहुत दूर है,
और शायद कभी आए भी नहीं..।

इसलिये
ज़िन्दगी के हर पल को
जियें जी भर के..॥

Saturday, 14 January 2017

RBSE TIME TABE BOARD EXAM 2017- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम 2017

*माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम 2017*

                     *12वीं आर्ट्स*

1. 2 मार्च       अंग्रेजी अनिवार्य
2. 5 मार्च        हिन्दी अनिवार्य
3. 9 मार्च        भूगोल
4. 19 मार्च      उर्दू साहित्य / हिन्दी साहित्य
5. 22मार्च        चित्रकला
6. 26 मार्च       गृहविज्ञान
7. 29 मार्च        संस्कृत
   
  
    
    
    

ली जाने वाली छुट्टी एवं उसके नियम

ली जाने वाली छुट्टी एवं उसके नियम

*1 - अर्जित अवकाश :-*
यह अवकाश प्रत्येक वर्ष 31 दिन के देय है। 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन दो किस्तों में देय है।
यह अवकाश पूरे सेवा काल में 300 दिनों तक जमा किया जा सकता है। भारत में लगातार 120 दिन की तथा भारत से बाहर 180 दिनों की छुट्टी देय है।
_*मूल नि.- 81-बी(1)*_

*2 - चिकित्सा अवकाश :-*
यह अवकाश स्थाई कार्मिकों को पूरे सेवा काल में 12 माह तक पूरे वेतन पर तथा 6 माह तक अर्ध वेतन पर देय है।
_*मूल नि.-81-बी(3)*_

*3 - निजी कार्य पर, अर्ध वेतन पर अवकाश :-*
स्थाई कार्मिकों को यह अवकाश पूरे सेवा काल में 365 दिनों तक अर्ध वेतन पर देय है। यह अवकाश भी अर्जित अवकाश की तरह 1 जनवरी को 16 दिन तथा 1 जुलाई को 15 दिन कर्मचारी के खाते में जमा हो जाता है तथा यह अवकाश भी कर्मचारी के खाते में पुरा यानी 365 दिनों तक जमा किया जा सकता है।
_*मूल नि.-81-बी(3)*_

*4 - असाधारण अवकाश ( बिना वेतन का ) :-*
यह अवकाश अन्य अवकाश के साथ मिलाकार अथवा बिना वेतन का अवकाश अलग से 5 वर्ष तक का देय है। 5 वर्ष से अधिक शासन द्वारा स्वीकृति किया जा सकता है।
_*मूल नि.-18, 81-बी(5)*_

*5 - विशेष बिकलांगता अवकाश :-*
यह अवकाश ड्यूटी करते समय दुर्घटना होने पर कूल 24 माह का निम्न प्रकार देय है।

       1 - प्रथम 6 माह पूरे वेतन पर। तथा यह 6 माह ड्यूटी मानी जायेगी।
       2 -119 दिन पूर्ण वेतन पर। लेकिन यह अवकाश माना जायेगा।
       3 - शेष 14 माह 1 दिन अर्ध वेतन पर देय है।

यह अवकाश किसी भी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
_*मूल नि.-83 तथा 83 ए*_
_*मूल नि.-9(6) ख (4)*_
_*मूल नि.-83 क (3) (ख)*_

*6 - अध्ययन अवकाश(study leave) :-*
यह अवकाश पूरे सेवा काल 24 माह का अर्ध वेतन पर देय है। एक बार में लगातार 12 माह तक छुट्टी देय है। यह अवकाश भी किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जायेगा।
नोट-यह उन्ही कर्मचारी को मिलेगी जिनकी सेवा काल 5 वर्ष हो गई हो। तथा यह अवकाश सेवानिवृति होने के 3 वर्ष पहले तक ही मिलेगी।
_*मूल नि.-84*_

*7 - राश्रीकृति अवकाश (commuted leave) :-*
यह अध्ययन अवकाश की तरह ही है। इसमें भारत में 45 दिन तक तथा भारत से बाहर 90 दिन तक पूरे वेतन पर देय है। लेकिन यह अवकाश निजी कार्य पर अर्ध वेतन पर जमा अवकाश में से दुगुनी घटाई जायेगी।
_*मूल नि.-81(बी)-4*_

*8 - प्रसूति अवकाश (महिलाओं के लिए) :-*
यह अवकाश केवल महिलाओं को प्रसूति हेतू 180 दिन यानी 6 माह तक 2 बच्चों तक देय है। तथा बच्चों के पालन पोषण हेतू 730 दिन तक पूरे वेतन पर दो बच्चों तक अलग से देय है। यह 730 दिन का अवकाश बच्चों के 18 वर्ष की उम्र होने तक due रहेगी। तथा एक कलेंडर वर्ष में 3 बार देय है। लेकिन एक बार में कम से कम 15 दिन का छुट्टी लेना होगा।
इसके अलावा गर्भ समापन अवकाश, चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर 6 सप्ताह तक पुरे वेतन पर पूरे सेवा काल में असीमित बार देय है।
*नोट -* गर्भ समापन का मतलब बच्चा ख़राब होने से है।
_*सहायक नि.-153*_
_*शासनादेश संख्या-2-2017, दि. 08.12.2008*_

*9 - चिकित्सालय अवकाश :-*
यह अवकाश उन कर्मचारियों को देय है जिनकी जान का जोखिम हो तथा सभी विभागों के सुरछा गार्डों एवं बंदी रच्छकों को देय है। यह अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को देय है।
प्राथमिकी चिकित्सक की संस्तुति पर 6 माह तक देय है। जिसमे प्रथम 3 माह पूर्ण वेतन पर तथा अगला 3 माह अर्ध वेतन पर। 3 वर्ष बाद पुनः6 माह का उपरोक्तानुसार देय होगा।

*10 - एंटी रेबीज उपचार हेतू अवकाश :-*
यदि किसी कार्मचारी को पागल कुत्ता या अन्य जानवर काट ले तो उसे सरकारी चिकित्सक की संस्तुति पर पूर्ण वेतन पर अवकाश देय है। यह अवकाश किसी अन्य अवकाश से घटाया नही जाएगा। दिन की कोई सीमा तय नहीं है। डॉक्टर के द्वारा छुट्टी के दिनों की संख्या निर्धारित होगी।
_*मूल नि.-9(6) (क) (3)*_

*11 - आकस्मिक अवकाश :-*
यह अवकाश प्रत्येक कलेंडर वर्ष में 14 दिन देय है। तथा 2-3दिन का विशेष अवकाश भी स्वीकृति किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 10 दिनों की छुट्टी स्वीकृति हो सकती है। यह अवकाश कर्मचारी के खाते में जमा नही होगी। हर साल छुट्टी न लेने पर बची हुई छुट्टी स्वतः ही लेप्स हो जायेगी।
_*ध्यान रहे यह अवकाश लेने पर बीच में पड़ने वाले अवकाश जैसे रविवार या अन्य छुट्टी को जोड़ा नही जायेगा।*_

भक्तशिरोमणी करमाबाई

#भक्तशिरोमणी_करमाबाई ....!!

       

थाली भर नै लायो खींचडो ऊपर घी री बाटकी
जीमो म्हारा श्यामधणी जिमावै बेटी जाट की ।।

करमा बाई का जन्म #कालवा (नागौर ) के किसान जीवनराम डूडी के घर माता रतनी देवी की कोख से भादवा बदी एकंम्  अर्थात 20 अगस्त 1615 ई. को हुआ।
करमां बाई ने पर्ची में जन्म स्थान मरूप्रदेश का आनंदपुर बताया है जो कालवा ही है। उसके जन्म पर मूसला धार बरसात हुई थी। जिससे गाँव में खुशियाँ फ़ैल गयी थी। करमा बाई पैदा होते ही हंसी थी जो एक चमत्कार था। एक बूढी दाई ने तो कहा कि यह बालिका ईश्वर का अवतार है.[3]
करमा बाई का विवाह: मनसुख रणवा के अनुसार करमा बाई का विवाह छोटी उम्र में ही अलवर जिले के गढ़ी मामोड गाँव में साहू गोत्र के लिखमा राम के साथ कर दिया। कुछ ही समय बाद पति की मृत्यु हो गयी। करम बाई उस समय कालवा में ही थी। उनका अंतिम संस्कार करने के लिए वह ससुराल गाढ़ी मामोड चली गयी। वह घर और खेत का सारा काम करती थी। अतिथियों की खूब आवभगत करती थी। कालवा ही नहीं आस-पड़ौस के गाँवों में उसकी प्रसंसा होने लगी।[4]
डॉ पेमा राम  के अनुसार करमा बाई का विवाह सोऊ गोत्र में गाँव मोरेड़ वाया बिदियाद (नागौर) कर दिया गया था।  परन्तु थोड़े ही समय में वह विधवा हो गयी और आजीवन बाल विधवा के रूप में ही अपना जीवन भगवान की भक्ति में व्यतीत किया।
करमा बाई का भगवान को खिचड़ी खिलाना : डॉ पेमा राम  ने इस घटना का विवरण निम्नानुसार दिया है:
एक लोक गीत से पता चलता है की इनके पिता भगवान के बड़े भक्त थे और उनको भोग लगा कर ही भोजन ग्रहण करते थे। एक दिन इनके पिता तीर्थ-यात्रा पर गए और भगवान की पूजा अर्चना व भोग लगाने की जिम्मेदारी बाई कर्मा को सौंप गए। दूसरे दिन भोली करमाँ ने खिचड़ी बनाकर भगवान् को भोग लगाया तो भगवान ने ग्रहण नहीं किया। तब करमा बाई ने सोचा कि शायद परदा न होने के कारण भगवान भोग नहीं लगा रहे हैं। उसने अपने धाबलिये (घाघरे) का परदा किया और मूंह दूसरी तरफ फेर लिया, ताकि भगवान् भोग लगा सके। फिर भी नतीजा कुछ न निकला। उसने भगवान से फिर कहा, "भगवान् आप भोजन नहीं करते तो मैं भी नहीं खाऊँगी।" करमा उस दिन भूखी रह गयी। उसने दूसरे दिन फिर खिचड़ी बनाई और घाघरे का परदा करके भगवान के फिर से भोग लगाया। दूसरे दिन भी कोई नतीजा नहीं निकला। तब उसने कहा कि यदि आप नहीं खायेंगे तो मैं न तो खिचड़ी खाऊँगी और न भोग लगाऊंगी। भूखी रहकर प्राण त्याग दूँगी। इस तरह तीन दिन बीत गए। तीसरे दिन भगवान् ने करमाँ को स्वप्न में कहा , "उठ ! जल्दी से खिचड़ी बना, मुझे बड़ी भूख लगी है। "
करमा बाई हडबड़ा कर उठी, जल्दी से खिचड़ी पकाई और परदा कर के भगवान के भोग लगाया। थोड़ी देर में देखा कि भगवान सारी खिचड़ी खा गए हैं। करमा बाई का खुसी का ठिकाना न रहा। अब वह नित्य प्रति भगवान को खिचडी का भोग लगाने लगी और बालरूप में भगवान आकर उसकी खिचडी खाने लगे। यह करमा बाई के भक्ति की चरम सीमा थी।
करमा बाई के घर भगवान द्वारा स्वयं आकर भोजन करने की बात दिन दूनी रात चौगुनी चारों तरफ फ़ैल गयी। नाभादास कृत भक्तमाल में करमा बाई के सम्बन्ध में इस प्रसंग का उल्लेख मिलता है। चारण ब्रह्मदास दादूपंथी विरचित 'भगत माल' में भी इसका उल्लेख इस प्रकार है-
जिमिया खीच करमां घिरे ज्वार का
बडम धिन द्वारिका तणा वासी
काफी दिनों बाद जब करमा बाई के पिता तीर्थ यात्रा पूरी करके वापिस लौटे तो उन्हें यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि प्रभु रोज करमा बाई की खिचड़ी खाने आते हैं। वह भी अपनी आँखों से भगवान के दर्शन कर धन्य हुए।[8]
करमा बाई की प्रसिद्धी: इस तरह करमा बाई के प्रेम में बंधे भगवान जगन्नाथ को भी प्रतिदिन सुबह खिचड़ी खाने जाना पड़ता था। अत: प्रभु जगन्नाथ के पण्डितों ने इस समस्या के समाधान के लिए राजभोग से पहले करमा बाई के नाम से खिचड़े का भोग प्रतिदिन जगन्नाथपुरी के मंदिर में लगाने लगे ताकि भगवान को जाना न पड़े। आज भी जगन्नाथपुरी के मंदिर में करमा बाई की प्रीत का यह ज्वलंत उदहारण देखने को मिलता है जहाँ भगवान के मंदिर में करमा बाई का भी मंदिर है और उसके खीचड़े का भोग प्रतिदिन भगवान को लगता है। परचीकार ने लिखा है -
करमां के घर जीमता, जो न पतीजो लोक।
देखो जगन्नाथ में, अज हूँ भोग।
मलुक को टुकरो बंटे, वटे कबीर की पाण।
करमांबाई रो खीचड़ो, भोग लगे भगवान।।
करमांबाई की भक्ति की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। करमांबाई ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान की भक्ति में व्यतीत कर दी। करमांबाई की भक्ति का परिणाम है कि आज भी राजस्थान में उनकी वात्सल्य भक्ति के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। महिलायें कृष्ण मंदिरों में करमांबाई के खीचड़ले से सम्बंधित भजन भक्ति भाव से गाती हैं। इस तरह करमांबाई अपनी अनूठी वात्सल्य भक्ति के कारण इस संसार में प्रसिद्धि प्राप्त कर 1691 ई. में एक दिन परमात्मा में विलीन हो गयी। वह भगवान में आस्था रखने वालों के लिए एक सन्देश छोड़ गयी  कि  सच्चे और भोले मन से किया गया  निस्वार्थमय कार्य ही ईश्वर प्राप्ति का सबसे आसान मार्ग है।।