Wednesday 31 May 2017

ईश्वर सत्य है

1970 के समय तिरुवनंतपुरम में समुद्र
के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे
थे तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान
उनके पास आकर बैठा!
उसने उन पर कटाक्ष किया कि
लोग भी कितने मूर्ख है विज्ञान के युग
मे गीता जैसी ओल्ड फैशन्ड बुक पढ़ रहे है!
उसने उन सज्जन से कहा
कि आप यदि यही समय विज्ञान
को दे देते तो अब तक देश ना जाने कहाँ
पहुँच चुका होता!
उन सज्जन ने उस नौजवान से
परिचय पूछा तो उसने बताया कि वो
कोलकाता से है!
और विज्ञान की पढ़ाई की है अब यहाँ
भाभा परमाणु अनुसंधान में अपना कैरियर
बनाने आया है!
आगे उसने कहा कि आप
भी थोड़ा ध्यान वैज्ञानिक कार्यो में लगाये
भगवद्गीता पढ़ते रहने से आप कुछ
हासिल नही कर सकोगे!
सज्जन मुस्कुराते हुए जाने के
लिये उठे, उनका उठना था की
4 सुरक्षाकर्मी वहाँ उनके आसपास
आ गए!
आगे ड्राइवर ने कार लगा दी जिस
पर लाल बत्ती लगी थी!
लड़का घबराया और उसने उनसे पूछा
आप कौन है???
उन सज्जन ने अपना नाम बताया
'विक्रम साराभाई'!
जिस भाभा परमाणु अनुसंधान में लड़का
अपना कैरियर बनाने आया था उसके
अध्यक्ष वही थे!
उस समय विक्रम साराभाई
के नाम पर 13 अनुसंधान केंद्र थे!
साथ ही साराभाई को तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परमाणु
योजना का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था!
अब शर्मसार होने की बारी
लड़के की थी वो साराभाई के चरणों मे रोते
हुए गिर पड़ा!
तब साराभाई ने बहुत अच्छी बात कही!
उन्होंने कहा कि
"हर निर्माण के पीछे निर्माणकर्ता अवश्य है।
इसलिए फर्क नही पड़ता ये महाभारत है
या आज का भारत, ईश्वर को कभी मत भूलो!"
आज नास्तिक गण विज्ञान का नाम
लेकर कितना नाच ले!
मगर इतिहास गवाह है कि विज्ञान
ईश्वर को मानने वाले आस्तिकों ने ही रचा है!
ईश्वर सत्य है!
इसे झुठलाया नही जा सकता!

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