Friday, 3 February 2017

तकदीर

*तकदीर :*

*एक हसीन लडकी*
*राजा के दरबार में*
*डांस कर रही थी...*

*( राजा बहुत बदसूरत था )*

*लडकी ने राजा से एक*
*सवाल की इजाजत मांगी*
.
*राजा ने कहा ,*
                     *' चलो पूछो .'*
.
*लडकी ने कहा ,*
   *'जब हुस्न बंट रहा था*
      *तब आप कहां थे..??*
.
*राजा ने गुस्सा नही किया*
*बल्कि*
*मुस्कुराते हुवे कहा*
  *~  जब तुम हुस्न की*
       *लाइन में खडी*
       *हुस्न ले रही थी , ~*
.
*~    तो में*
  *किस्मत  की लाइन  में खडा*
             *किस्मत ले रहा था*
.
          *और आज* 
     *तुझ जैसी हुस्न वालियां*
      *मेरी गुलाम की तरह*
       *नाच रही है...........*
.
*इसलिए शायर खुब कहते है,*
.
    *" हुस्न ना मांग*
      *नसीब मांग ए दोस्त ,*

       *हुस्न वाले तो*
      *अक्सर नसीब वालों के*
      *गुलाम हुआ करते है...*

      *" जो भाग्य में है ,*
        *वह भाग कर आएगा,*
    
         *जो नहीं है ,*
         *वह आकर भी*
         *भाग जाएगा....!!!!!."*

*यहाँ सब कुछ बिकता है ,*
*दोस्तों रहना जरा संभाल के,*

*बेचने वाले हवा भी बेच देते है,*
      *गुब्बारों में डाल के,*

        *सच बिकता है ,*
        *झूट बिकता है,*
       *बिकती है हर कहानी,*

       *तीनों लोक में फेला  है ,*
       *फिर भी बिकता है*
       *बोतल में पानी ,*

*कभी फूलों की तरह मत जीना,*
*जिस दिन खिलोगे ,*
*टूट कर बिखर जाओगे ,*
*जीना है तो*
*पत्थर की तरह जियो ;*
*जिस दिन तराशे गए ,*
*" भगवान " बन  जाओगे...!!!!*

Historic dates in indian history

दिल्ली  सल्तनत की एक कहानी
दिल्ही सल्तनत तोमारवंश से नरेन्द्र मोदी तक
तोमरवंश
1=736 अनंगपाल तोमार और उनके वंश
2=1049 अनंगपाल दूसरा
3=1097 सूरजपाल तोमर 1135 में तोमर वंश समाप्त्

चौहाण वंश
1=1153 विग्रहराज पाँचवे
2=1170 सोमेश्वर चौहाण
3=1177 पृथ्वीराज चौहाण
1193 चौहान वंश समाप्त्

गुलाम वंश
1=1193 महमद घोरी
2=1206 कुतबूदीन ऐबक
3=1210 आरम शाह
4=1211 इल्तुतमिश
5=1236 रुकनुदिन फिरोज शाह
6=1236 रज़िया सुल्तान
7=1240 मुइज़ुदिन बहेराम
8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह
9=1246 नसरुदीन महमद शाह
10=1266 धियासुदीन बल्बन
11=1286 कै खुशरो
12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद
13=1290 कयुमार्श
1290 गुलाम वंश समाप्त्

खीलजी वंश
1=1290 जलालुदीन फ़िरोज़ शाह
2=1296 रुक्नुदिन इब्राहिम शाह
3=अल्लाउदीन फिरोज़ महमद शाह
4=1316 सहिबुदिन उमर शाह
5=1316 कुटबुदिन मुबारक शाह
6=1320 नासिरुदीन खुशरू शाह
7=1320 खिलजी वंश स्माप्त

तघलख वंश
1=1320 घीयसुदिन तघलख पहले
2=1325 महमद तघलख दूसरा
3=1351 फ़िरोज़ शाह
4=1388 धीयासुदिन तघलख  दूसरा
5=1389 अबु बकर शाह
6=1389 महमद तघलख तीसरा
7=1394 सिकंदर शाह पहला
8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा
9=1395 नसरत शाह
10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर
11=1413 दोलतशाह
1414 तघलख वंश समाप्त

सईद वंश
क्रम (ई.स) शासक नोंध
1=1414 खिजर खान
2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा
3=1434 मुहमद शाह चौथा
4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह
1451 सईद वंश समाप्त

लोदी वंश
1=1451 बुहबुल खान लोदी
2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा
3=1517 इब्राहिम लोदी
1526 लोदी वंश समाप्त

मोगल वंश
1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर
2=1530 हुमायु
1539 मोगल वंश मध्यांतर

सूरी वंश
1=1539 शेर शाह सूरी
2=1545 इस्लाम शाह सूरी
3=1552 महमद आदिल शाह सूरी
4=1553 इब्राहिम सूरी
5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी
6=1554 मुबारक खान सूरी
7=1555 सिकंदर सूरी
सूरी वंश समाप्त,मोगल वंश पुनःप्रारंभ
1=1555 हुमायू दुबारा गादि पर
2=1556 जलालुदीन अकबर
3=1605 जहांगीर सलीम
4=1628 शाहजहाँ
5=1659 औरंगज़ेब
6=1707 शाह आलम पहला
7=1712 जहादर शाह
8=1713 फारूखशियर
9=1719 रईफुदु राजत
10=1719 रईफुद दौला
11=1719 नेकुशीयार
12=1719 महमद शाह
13=1748 अहमद शाह
14=1754 आलमगीर
15=1759 शाह आलम
16=1806 अकबर शाह
17=1837 बहादुर शाह जफर
1857 मोगल वंश समाप्त

ब्रिटिश राज (वाइसरॉय)
1=1858 लोर्ड केनिंग
2=1862 लोर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन
3=1864 लोर्ड जहॉन लोरेन्श
4=1869 लोर्ड रिचार्ड मेयो
5=1872 लोर्ड नोर्थबुक
6=1876 लोर्ड एडवर्ड लुटेन
7=1880 लोर्ड ज्योर्ज रिपन
8=1884 लोर्ड डफरिन
9=1888 लोर्ड हन्नी लैंसडोन
10=1894 लोर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन
11=1899 लोर्ड ज्योर्ज कर्झन
12=1905 लोर्ड गिल्बर्ट मिन्टो
13=1910 लोर्ड चार्ल्स हार्डिंज
14=1916 लोर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड
15=1921 लोर्ड रुक्स आईजेक रिडींग
16=1926 लोर्ड एडवर्ड इरविन
17=1931 लोर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन
18=1936 लोर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो
19=1943 लोर्ड आर्किबाल्ड वेवेल
20=1947 लोर्ड माउन्टबेटन
ब्रिटिस राज समाप्त

आजाद भारत,प्राइम मिनिस्टर
1=1947 जवाहरलाल नेहरू
2=1964 गुलझरीलाल नंदा
3=1964 लालबहादुर शास्त्री
4=1966 गुलझारीलाल नंदा
5=1966 इन्दिरा गांधी
6=1977 मोरारजी देसाई
7=1979 चरणसिंह
8=1980 इन्दिरा गांधी
9=1984 राजीव गांधी
10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह
11=1990 चंद्रशेखर
12=1991 पी.वी.नरसिंह राव
13=अटल बिहारी वाजपेयी
14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा
15=1997 आई.के.गुजराल
16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी
17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह
18=2014 नरेन्द्र मोदी
continuee.........

भारतीय सभ्यता का साथ

गाय  हमारी
*COW* बन गयी,

                    शर्म हया अब
                  *WOW* बन गयी,

  काढ़ा  हमारा
*CHAI* बन गया,

                     छोरा बेचारा
                   *GUY* बन गया,

    योग हमारा
*YOGA* बन गया,

                     घर का जोगी
                  *JOGA* बन गया,

भोजन 100 रु.
*PLATE* बन गया,

         ..हमारा भारत
       *GREAT* बन गया..

  घर की दीवारेँ
*WALL* बन गयी,

          दुकानेँ
*SHOPING MALL*बन गयीँ,

                               गली मोहल्ला
                               *WARD* बन गया,

    ऊपरवाला
*LORD* बन गया, 

                               माँ हमारी
                                *MOM* बन गयी,

छोरियाँ
*ITEM BOMB* बन गयीँ,

                                  तुलसी की जगह
                             *मनी प्लांट* ने ले ली..!

  काकी की जगह
  *आंटी* ने ले ली..!

                         पिता जी  *डैड* हो गये..!    
                                भाई तो अब *ब्रो* हो गये..!
      बेचारी बहन भी अब *सिस*  हो गयी..!

  दादी की लोरी तो अब
*टांय टांय फिस्स* हो गयी।

   जीती जागती माँ बच्चों के
      लिए *ममी* हो गयी..!

        रोटी अब अच्छी कैसे लगे
*मैग्गी जो इतनी यम्मी* हो गयी..!

गाय का आशियाना अब
      शहरों की *सड़कों* पर बचा है..!

             विदेशी कुत्तों ने लोगों के
   कंधों पर बैठकर *इतिहास* रचा है..!

    बहुत दुःखी हूँ ये सब देखकर
          दिल टूट रहा है..!

      *हमारे द्वारा ही हमारी*
      *भारतीय सभ्यता का*        *साथ छूट रहा है....*  

        ☝   
            एक मेसेज
    *भारतीय सभ्यता के नाम..*.

Tuesday, 31 January 2017

यादों का किस्सा

Harivansh Rai Bachhan's poem on friendship: .....

मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....

...मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....

.....अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से....

....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....

....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

....सबकी जिंदगी बदल गयी,
....एक नए सिरे में ढल गयी,

....किसी को नौकरी से फुरसत नही...
....किसी को दोस्तों की जरुरत नही....

....सारे यार गुम हो गये हैं...
.... "तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....

....मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....

...धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है...
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...

.....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...

.....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ....

......हरिवंशराय बच्चन

dedicated to all my wonderful friends

Saturday, 28 January 2017

मेवाड़ की रानी पद्मिनी : एक शौर्य गाथा

मेवाड़ की रानी पद्मिनी : एक शौर्य गाथा

वीर वीरांगनाओं की धरती राजपूताना...जहाँ के इतिहास में आन बान शान या कहें कि सत्य पर बलिदान होने वालों की अनेक गाथाएं अंकित है। एक कवि ने राजस्थान के वीरों के लिए कहा है :

"पूत जण्या जामण इस्या मरण जठे असकेल
सूँघा सिर, मूंघा करया पण सतियाँ नारेल"
{ वहां ऐसे पुत्रों को माताओं ने जन्म दिया था जिनका उदेश्य के लिए म़र जाना खेल जैसा था ...जहाँ की सतियों अर्थात वीर बालाओं ने सिरों को सस्ता और नारियलों को महंगा कर दिया था...(यह रानी पद्मिनी के जौहर को इंगित करता है)...}
आज दिल कर रहा है मेवाड़ की महारानी पद्मिनी की गाथा आप सब से शेयर करने का...

१३०२ इश्वी में मेवाड़ के राजसिंहासन पर रावल रतन सिंह आरूढ़ हुए. उनकी रानियों में एक थी पद्मिनी जो श्री लंका के राजवंश की राजकुँवरी थी. रानी पद्मिनी का अनिन्द्य सौन्दर्य यायावर गायकों (चारण/भाट/कवियों) के गीतों का विषय बन गया था। दिल्ली के तात्कालिक सुल्तान अल्ला-उ-द्दीन खिलज़ी ने पद्मिनी के अप्रतिम सौन्दर्य का वर्णन सुना और वह पिपासु हो गया उस सुंदरी को अपने हरम में शामिल करने के लिए। अल्ला-उ-द्दीन ने चित्तौड़ (मेवाड़ की राजधानी) की ओर कूच किया अपनी अत्याधुनिक हथियारों से लेश सेना के साथ। मकसद था चित्तौड़ पर चढ़ाई कर उसे जीतना और रानी पद्मिनी को हासिल करना। ज़ालिम सुलतान बढा जा रहा था, चित्तौड़गढ़ के नज़दीक आये जा रहा था। उसने चित्तौड़गढ़ में अपने दूत को इस पैगाम के साथ भेजा कि अगर उसको रानी पद्मिनी को सुपुर्द कर दिया जाये तो वह मेवाड़ पर आक्रमण नहीं करेगा।

रणबाँकुरे राजपूतों के लिए यह सन्देश बहुत शर्मनाक था। उनकी बहादुरी कितनी ही उच्चस्तरीय क्यों ना हो, उनके हौसले कितने ही बुलंद क्यों ना हो, सुलतान की फौजी ताक़त उनसे कहीं ज्यादा थी।
[6:59PM, 1/28/2017] Sandhya Jain: ऐसे में बहुत ही गहरे सोच का विषय हो गया था सुल्तान का यह घृणित प्रस्ताव, जो सुल्तान की कामुकता और दुष्टता का प्रतीक था। कैसे मानी जा सकती थी यह शर्मनाक शर्त।

नारी के प्रति एक कामुक नराधम का यह रवैय्या क्षत्रियों के खून खौला देने के लिए काफी था। रतन सिंह जी ने सभी सरदारों से मंत्रणा की, कैसे सामना किया जाय इस नीच लुटेरे का जो बादशाह के जामे में लिपटा हुआ था। कोई आसान रास्ता नहीं सूझ रहा था। मरने मारने का विकल्प तो अंतिम था। क्यों ना कोई चतुराईपूर्ण राजनीतिक कूटनीतिक समाधान समस्या का निकाला जाय ?

रानी पद्मिनी न केवल अनुपम सौन्दर्य की स्वामिनी थी, वह एक बुद्धिमता नारी भी थी। उसने अपने विवेक से स्थिति पर गौर किया और एक संभावित हल समस्या का सुझाया। अल्ला-उ-द्दीन को जवाब भेजा गया कि वह अकेला निरस्त्र गढ़ (किले) में प्रवेश कर सकता है, बिना किसी को साथ लिए, राजपूतों का वचन है कि उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा....हाँ वह केवल रानी पद्मिनी को देख सकता है...बस. उसके पश्चात् उसे चले जाना होगा चित्तौड़ को छोड़ कर... जहाँ कहीं भी, उम्मीद कम थी कि इस प्रस्ताव को सुल्तान मानेगा। किन्तु आश्चर्य हुआ जब दिल्ली के आका ने इस बात को मान लिया। निश्चित दिन को अल्ला-उ-द्दीन पूर्व के चढ़ाईदार मार्ग से किले के मुख्य दरवाज़े तक चढ़ा, और उसके बाद पूर्व दिशा में स्थित सूरजपोल तक पहुंचा। अपने वादे के मुताबिक वह नितान्त अकेला और निरस्त्र था, पद्मिनी के पति रावल रतन सिंह ने महल तक उसकी अगवानी की। महल के उपरी मंजिल पर स्थित एक कक्ष कि पिछली दीवार पर एक दर्पण लगाया गया, जिसके ठीक सामने एक दूसरे कक्ष की खिड़की खुल रही थी...उस खिड़की के पीछे झील में स्थित एक मंडपनुमा महल था जिसे रानी अपने ग्रीष्म विश्राम के लिए उपयोग करती थी।  रानी मंडपनुमा महल में थी जिसका बिम्ब खिडकियों से होकर उस दर्पण में पड़ रहा था अल्लाउद्दीन को कहा गया कि दर्पण में झांके। हक्केबक्के सुलतान ने आईने की जानिब अपनी नज़र की और उसमें रानी का अक्स उसे दिख गया ...तकनीकी तौर पर उसे रानी साहिबा को दिखा दिया गया था..सुल्तान को एहसास हो गया कि उसके साथ चालबाजी की गयी है, किन्तु बोल भी नहीं पा रहा था, मेवाड़ नरेश ने रानी के दर्शन कराने का अपना वादा जो पूरा किया था......और उस पर वह नितान्त अकेला और निरस्त्र भी था।

परिस्थितियां असमान्य थी, किन्तु एक राजपूत मेजबान की गरिमा को अपनाते हुए, दुश्मन अल्लाउद्दीन को ससम्मान वापस पहुँचाने मुख्य द्वार तक स्वयं रावल रतन सिंह जी गये थे .....अल्लाउद्दीन ने तो पहले से ही धोखे की योजना बना रखी थी। उसके सिपाही दरवाज़े के बाहर छिपे हुए थे...दरवाज़ा खुला....रावल साहब को जकड लिया गया और उन्हें पकड़ कर शत्रु सेना के खेमे में कैद कर दिया गया।
रावल रतन सिंह दुश्मन की कैद में थे। अल्लाउद्दीन ने फिर से पैगाम भेजा गढ़ में कि राणाजी को वापस गढ़ में सुपुर्द कर दिया जायेगा, अगर रानी पद्मिनी को उसे सौंप दिया जाय। चतुर रानी ने काकोसा गोरा और उनके १२ वर्षीय भतीजे बादल से मशविरा किया और एक चातुर्यपूर्ण योजना राणाजी को मुक्त करने के लिए तैयार की।

अल्लाउद्दीन को सन्देश भेजा गया कि अगले दिन सुबह रानी पद्मिनी उसकी खिदमत में हाज़िर हो जाएगी, दिल्ली में चूँकि उसकी देखभाल के लिए उसकी खास दसियों की ज़रुरत भी होगी, उन्हें भी वह अपने साथ लिवा लाएगी। प्रमुदित अल्लाउद्दीन सारी रात्रि सो न सका...कब रानी पद्मिनी आये उसके हुज़ूर में, कब वह विजेता की तरह उसे भी जीते.....कल्पना करता रहा रात भर पद्मिनी के सुन्दर तन की....प्रभात बेला में उसने देखा कि एक जुलुस सा सात सौ बंद पालकियों का चला आ रहा है। खिलज़ी अपनी जीत पर इतरा रहा था।  खिलज़ी ने सोचा था कि ज्योंही पद्मिनी उसकी गिरफ्त में आ जाएगी, रावल रतन सिंह का वध कर दिया जायेगा...और चित्तौड़ पर हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लिया जायेगा। कुटिल हमलावर इस से ज्यादा सोच भी क्या सकता था। खिलज़ी के खेमे में इस अनूठे जुलूस ने प्रवेश किया...और तुरंत अस्तव्यस्तता का माहौल बन गया...पालकियों से नहीं उतरी थी अनिन्द्य सुंदरी रानी पद्मिनी और उसकी दासियों का झुण्ड....बल्कि पालकियों से कूद पड़े थे हथियारों से लेश रणबांकुरे राजपूत योद्धा ....जो अपनी जान पर खेल कर अपने राजा को छुड़ा लेने का ज़ज्बा लिए हुए थे। गोरा और बादल भी इन में सम्मिलित थे, मुसलमानों ने तुरत अपने सुल्तान को सुरक्षा घेरे में लिया। रतन सिंह जी को उनके आदमियों ने खोज निकाला और सुरक्षा के साथ किले में वापस ले गये। घमासान युद्ध हुआ, जहाँ दया करुणा को कोई स्थान नहीं था। मेवाड़ी और मुसलमान दोनों ही रण-खेत रहे, मैदान इंसानी लाल खून से सुर्ख हो गया था। शहीदों में गोरा और बादल भी थे, जिन्होंने मेवाड़ के भगवा ध्वज की रक्षा के लिए अपनी आहुति दे दी थी।

अल्लाउद्दीन की खूब मिटटी पलीद हुई. खिसियाता, क्रोध में आग बबूला होता हुआ, लौमड़ी सा चालाक और कुटिल सुल्तान दिल्ली को लौट गया। उसे चैन कहाँ था, जुगुप्सा का दावानल उसे लगातार जलाए जा रहा था। एक औरत ने उस अधिपति को अपने चातुर्य और शौर्य से मुंह के बल पटक गिराया था। उसका पुरुष चित्त उसे कैसे स्वीकार का सकता था। उसके अहंकार को करारी चोट लगी थी, मेवाड़ का राज्य उसकी आँख की किरकिरी बन गया था।

कुछ महीनों के बाद वह फिर चढ़ बैठा था चित्तौडगढ़ पर, ज्यादा फौज और तैय्यारी के साथ। उसने चित्तौड़गढ़ के पास मैदान में अपना खेमा डाला, किले को घेर लिया गया....किसी का भी बाहर निकलना सम्भव नहीं था. दुश्मन कि फौज के सामने मेवाड़ के सिपाहियों की तादाद और ताक़त बहुत कम थी। थोड़े बहुत आक्रमण शत्रु सेना पर बहादुर राजपूत कर पाते थे लेकिन उनको कहा जा सकता था ऊंट के मुंह में जीरा। सुल्तान की फौजें वहां अपना पड़ाव डाले बैठी थी, इंतज़ार में. छः महीने बीत गये, किले में संगृहीत रसद ख़त्म होने को आई। अब एक ही चारा बचा था, "करो या मरो" या "घुटने टेको" आत्मसमर्पण या शत्रु के सामने घुटने टेक देना बहादुर राजपूतों के गौरव लिए अभिशाप तुल्य था, ऐसे में बस एक ही विकल्प बचा था झूझना...युद्ध करना...शत्रु का यथासंभव संहार करते हुए वीरगति को पाना।

बहुत बड़ी विडंबना थी कि शत्रु के कोई नैतिक मूल्य नहीं थे। वे न केवल पुरुषों को मारते काटते, नारियों से बलात्कार करते और उन्हें भी मार डालते। यही चिंता समायी थी धर्म परायण शिशोदिया वंश के राजपूतों में....और मेवाड़ियों ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।

किले के बीच स्थित मैदान में लकड़ियों, नारियलों एवम् अन्य इंधनों का ढेर लगाया गया.....सारी स्त्रियों ने, रानी से दासी तक, अपने बच्चों के साथ गोमुख कुन्ड में विधिवत पवित्र स्नान किया....सजी हुई चित्ता को घी, तेल और धूप से सींचा गया....और पलीता लगाया गया. चित्ता से उठती लपटें आकाश को छू रही थी। नारियां अपने श्रेष्ठतम वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित थी, अपने पुरुषों को अश्रुपूरित विदाई दे रही थी....अंत्येष्टि के शोकगीत गाये जा रही थी. अफीम अथवा ऐसे ही किसी अन्य शामक औषधियों के प्रभाव से प्रशांत हुई, महिलाओं ने रानी पद्मावती के नेतृत्व में चित्ता कि ओर प्रस्थान किया....और कूद पड़ी धधकती चित्ता में....अपने आत्मदाह के लिए....जौहर के लिए....देशभक्ति और गौरव के उस महान यज्ञ में अपनी पवित्र आहुति देने के लिए।

जय एकलिंग, हर हर महादेव के उदघोषों से गगन गुंजरित हो उठा था. आत्माओं का परमात्मा से विलय हो रहा था।
अगस्त २५, १३०३ कि भोर थी, आत्मसंयमी दुखसुख को समान रूप से स्वीकार करनेवाला भाव लिए, पुरुष खड़े थे उस हवन कुन्ड के निकट, कोमलता से भगवद गीता के श्लोकों का कोमल स्वर में पाठ करते हुए.....अपनी अंतिम श्रद्धा अर्पित करते हुए.... प्रतीक्षा में कि वह विशाल अग्नि उपशांत हो। पौ फट गयी.....सूरज कि लालिमा ताम्रवर्ण लिए आकाश में आच्छादित हुई.....पुरुषों ने केसरिया बागे पहन लिए....अपने अपने भाल पर जौहर की पवित्र भभूत से टीका किया....मुंह में प्रत्येक ने तुलसी का पता रखा....दुर्ग के द्वार खोल दिए गये। जय एकलिंग....हर हर महादेव कि हुंकार लगते रणबांकुरे मेवाड़ी टूट पड़े शत्रु सेना पर...मरने मारने का ज़ज्बा था....आखरी दम तक अपनी तलवारों को शत्रु का रक्त पिलाया...और स्वयं लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गये।

अल्लाउद्दीन खिलज़ी की जीत उसकी हार थी, क्योंकि उसे रानी पद्मिनी का शरीर हासिल नहीं हुआ, न मेवाड़ कि पगड़ी उसके कदमों में गिरी।

confirmed railway ticket can be transferred to your blood relations

This is regarding transfer of confirmed rail ticket. Very good initiative by our Railway Minister Sri Suresh Prabhu.

1. A confirmed railway ticket can be transferred to your blood relations.

2. If a person is holding a confirmed ticket and is unable to travel, then the ticket can be transferred to his / her family members including father, mother, brother, sister, son, daughter, husband or wife.

3. For transfer of ticket, an application must be submitted atleast 24 hours in advance of the scheduled departure of the train to chief reservation supervisor with ID proof.

4. Government officials can transfer to other govt official.

5. Students can transfer ticket to other students.


Friday, 27 January 2017

आज क्या किया?

घर लौटने पर पति ने पाया कि घर बुरी तरह बिखरा हुआ है... बच्चे बाहर अपने नाइट सूट में खेल रहें हैं... उनके खिलौने फैले हुए हैं... डाइनिंग टेबल पर खाना खुला पडा है कपडे सोफे और कुर्सियों पर लटके हुए हैं... गीले तौलिये बिस्तर पर पड़े है... अखबार यूँ ही फैले है सोफे पर.... नमकीन कालीन पर बिखरी पडी है... रजाइयां बिस्तरे पर खुली हुई है... रसोई में बर्तन जूठे बिखरे हुए... कुर्सिया इधर उधर .... बाथरूम गंद।...
पति घबरा गया। उसे लगा कि पत्नी बहुत बीमार तो नहीं है ।जब वह कमरे में पहुँचा ,तो देखा पत्नी आराम से कुर्सी पर बैठ कर पत्रिका पढ रही है। जैसे ही पति पर निगाह पडी वह मुस्कुरा कर बोली---कहो कैसा रहा दिन?
अकबकाए पति ने पूछा----क्या हुआ ? यह क्या हाल बना रखा है?
पत्नी का जवाब था----तुम अॉफिस से लौटने के बाद रोज पूछते हो ना कि मैने आज क्या किया? तो आज.................. मैने कुछ नहीं किया।

Dedicated to all lovely House wife's (ladies)

चलो हंस ले

चलिए थोडा हसकर दिन की थकान
दुर करते हे .........
कायदे से देखा जाये तो दुनिया मे कोई
भी इंसान शाकाहारी नहीं है ...
क्योंकि , थोडा बहुत दिमाग तो हर कोई
खाता है।।।।।

पैसे कागज से बनते हैं, कागज
लकड़ी से बनता है ऒर लकड़ी पेड़ से
मिलती है .......
इसका मतलब पैसे पेड़ पर लगते है।

शादीशुदा आदमी की ज़िन्दगी में दो
खर्चे तो लगे ही हें...
१. बीवी गोरी हो तो..
Sun Screen...
और
२. काली हो तो...
Fair & Lovely.....

कहते हैं कि, जो हँसा, उसका घर
बसा़। पर .........
जिसका घर बसा, उससे पूछो......
वह फिर कब हँसा??

बीवी को समझना मतलब :~
32 GB का
Video Download करना.
और ..........31.5 GB Download
होनेके बाद में Error दिखाना !!!!

दुनिया में सिर्फ वही लोग शरीफ हैं,
जिनके मोबाइल में पासवर्ड नहीं होते
है।

कुछ लोग whatsapp पर बस
दो ही स्टेटस पोस्ट करते हैं....
पहला:-- good morning....
दूसरा:-- good night .....
ऐसा लगता है..... जैसे whatsapp की
दुकान का शटर खोलने और बंद
करने की जिम्मेदारी इनकी है...... और
माल की खरीदने - बेचने की जिम्मेदारी
हमारी ।।

एक सर्वे के अनुसार, आज भी अपने
देश में......
'तू प्यार है, किसी और का, तुझे चाहता
कोई और है ।'
यह गाना बजने पर 10 में से 8 लङके
इमोशनल हो जाते हैं ...

भारत में लोग इतने टैलेंटेड होते है
कि, गाड़ी हिला के बता देते है.....
गाड़ी में पेट्रोल कितना है ?

ट्रेन के अन्दर की भीड़ के
'चक्रव्यूह' को तोड़ने का जो कौशल इन
"नमकीन या नारियल" बेचने वालो के
पास होता है वो तो 'अभिमन्यु' के पास
भी नही था।

इंसान सबसे ज्यादा तब खुश होता
है, जब रेलवे फाटक बंद हो रहा हो और
उसके पहले वो अपनी गाडी निकाल
ले.......
कसम से ओलम्पिक रेस जीतने वाली
फीलिंग होती है।।

आज तक समझ में नहीं आया की
OK की जगह K और GOOD MORNING
की जगह GM लिखने वाले, जीवन के 2
सेकंड बचा के क्या कर लेते है ?
और .....ये hmmm ...वालो ने तो नाक
में दम कर रखा है , लगता है की भैंस से
बात कर रहा हु !

So confusing -
माता पिता अपनी बिटिया के लिए
सुयोग्य वर खोजते समय दो बातों का
ख्याल रखते हैं ...
एक तो लड़का खाते पीते घर का हो.....
ऒर.....दूसरा........वो पीता - खाता न
हो ....
भला ये क्या बात हुई ....??

Kadak joke of the day
मंगलसूत्र लटका हो तो लड़की
शादीशुदा.....ऒर.......
मुहँ लटका हो तो लड़का शादीशुदा।

जिन्दगी जिनेके लिए हसना जरुरी
हॆ।।।

पानी में हल्दी मिलाकर पीने से होते है यह 7 फायद

*पानी में हल्दी मिलाकर पीने से होते है यह 7 फायदें*.....

1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है. सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है.

2. रोज यदि आप हल्दी का पानी पीते हैं तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है. यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है.

3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है. हल्दी के पानी में टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है. हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं.

4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए. हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है. जिससे हर्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है.

5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है जिससे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है. हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौर्दय को बढ़ाते हैं.

6. शरीर में किसी भी तरह की सजून हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें. हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असाहय दर्द को ठीक कर देता है. सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी.

7. कैंसर खत्म करती है हल्दी. हल्दी कैंसर से लड़ती है और उसे बढ़ने से भी रोक देती है. हल्दी एंटी.कैंसर युक्त होती है. यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीएगें तो आपको भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेगें.