गाय हमारी
*COW* बन गयी,
शर्म हया अब
*WOW* बन गयी,
काढ़ा हमारा
*CHAI* बन गया,
छोरा बेचारा
*GUY* बन गया,
योग हमारा
*YOGA* बन गया,
घर का जोगी
*JOGA* बन गया,
भोजन 100 रु.
*PLATE* बन गया,
..हमारा भारत
*GREAT* बन गया..
घर की दीवारेँ
*WALL* बन गयी,
दुकानेँ
*SHOPING MALL*बन गयीँ,
गली मोहल्ला
*WARD* बन गया,
ऊपरवाला
*LORD* बन गया,
माँ हमारी
*MOM* बन गयी,
छोरियाँ
*ITEM BOMB* बन गयीँ,
तुलसी की जगह
*मनी प्लांट* ने ले ली..!
काकी की जगह
*आंटी* ने ले ली..!
पिता जी *डैड* हो गये..!
भाई तो अब *ब्रो* हो गये..!
बेचारी बहन भी अब *सिस* हो गयी..!
दादी की लोरी तो अब
*टांय टांय फिस्स* हो गयी।
जीती जागती माँ बच्चों के
लिए *ममी* हो गयी..!
रोटी अब अच्छी कैसे लगे
*मैग्गी जो इतनी यम्मी* हो गयी..!
गाय का आशियाना अब
शहरों की *सड़कों* पर बचा है..!
विदेशी कुत्तों ने लोगों के
कंधों पर बैठकर *इतिहास* रचा है..!
बहुत दुःखी हूँ ये सब देखकर
दिल टूट रहा है..!
*हमारे द्वारा ही हमारी*
*भारतीय सभ्यता का* *साथ छूट रहा है....*
☝
एक मेसेज
*भारतीय सभ्यता के नाम..*.
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