Thursday 23 February 2017

चलती बस में निकाह

*चलती बस में निकाह। पूरा पढें और आप भी कहेंगे भई सुभानल्लाह ...भई माशाल्लाह*

*यह एक सच्ची और हाल ही में घटित हुई घटना है।*
:
गोंडा से दिल्ली बस जा रही थी जब बस स्टेशन से चल पड़ी तो फ्रंट सीट पर बैठे एक बुज़ुर्ग जो बहुत अच्छे कपड़े पहने हुए थे,
खड़े हो गए और बाकी मुसाफिरों से मुखातिब होकर कहा ...

मेरे भाइयों और बहनों मैं कोई भिखारी नहीं हूँ अल्लाह ने मुझे अपनी नेक अमतों से नवाजा है मगर मेरी बीवी एक मर्ज से अल्लाह को प्यारी हो गई, कुछ दिन गुज़रे मेरी फैक्ट्री में आग लग गई, मैं इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का कारोबार करता हूँ...

मेरा सभी माल जलकर खाक़ हो गया फिर कुछ मुद्दत गुज़री कि मुझे दिल का दौरा पड़ा रिश्तेदारों ने जब ये महसूस किया कि इसके बुरे दिन आने लगे हैं तो उन्होंने भी हमसे रिस्ते बन्द कर दिये। डॉक्टरों ने मेरे बचने की जमानत कम ही दी है। मेरी ये जवान बेटी है इसका कोई वारिस नहीं रहेगा कोई इसके दामन अस्मत को तार-तार ना करे यही ग़म ज़्यादा खाए जा रहा है और उस शख्स की हिचकी बन्ध गई। उसकी बेटी जो पास में बैठी थी उठी और बाप को सहारा देकर सीट पर बैठा दिया ...

बस की पिछली सीट से एक आदमी खड़ा हुआ और कहने लगा मेरे दो बेटे हैं एक डॉक्टर है उसका निकाह हो चुका है और दूसरा ये जो मेरे बगल में बैठा हुआ है इंजिनियर है इसके लिये दुल्हन की तलाश है। मैं उस बुज़ुर्ग से दरख़्वास्त करता हूँ कि ये अपनी बेटी का निकाह मेरे इस बेटे से कर दें। मैं वादा करता हूँ कि बच्ची को कभी बाप की कमी महसूस नहीं होने दूंगा ....
लड़का खड़ा हो गया और कहा मुझे रिश्ता कबूल है....

बस में मौजूद एक मौलवी साहब खड़े होकर कहने लगे ये सफर बहुत मुबारक सफर है निकाह जैसा मुक़द्दस अमल हो जाए वह भी सफर में इससे अच्छी बात क्या होगी...?
अगर लोगों को ऐतराज़ न हो तो मैं निकाह पढ़ा दूँ.....

सब कहने लगे माशा अल्लाह , सुब्हान अल्लाह , अल्हम्दुलिल्लाह वगैरह, वगैरह
और मौलवी साहब ने निकाह पढ़ा दिया ....

बीच में से एक और साहब खड़े होकर कहने लगे मकीन छुट्टी पर जा रहा था अपने घर वालों के लिये लड्डू लेकर मगर इस मुबारक अमल को देखकर समझता हूँ कि लड्डू इधर ही तक़सीम कर दें, उसने दुल्हन के बाप से मुख़ातिब होते हुए कहा...

दुल्हन के बाप ने ड्राइवर से कहा ...ड्राइवर मियाँ 5 मिनट किसी जगह बस रोक देना ताकि सब मिलकर मुंह मीठा कर लें ड्राइवर ने कहा ठीक है बाबा जी ....

मग़रिब की नमाज़ बाद जब अन्धेरा होने लगा तो लड़की के बाप ने ड्राइवर से बस रोकने को कहा ...
और सब मुसाफिर मिलकर लड्डू खाने लगे , लड्डू खाते ही सब मुसाफिर सो गए।

ड्राइवर और कंडक्टर जब नींद से जागे तो अगली सुबह के 6 बजे थे मगर दुल्हन और दूल्हा और उनके दोनो बाप, मौलवी साहब और लड्डू बांटने वाला बस से ग़ायब थे। इतना ही नहीं बल्कि किसी मुसाफिर के पास ना घड़ी ना चैन ना पैसे बल्कि कुछ भी नहीं था।

इन 6 मेम्बरों का ग्रुप पूरी बस को मुकम्मल तौर पर लूट चुका था.....
*तो बोलो ...अरे बोलो माशाल्लाह*

*नोट : इन चोर लुटेरों के गैंग से सावधान और होशियार रहें।*

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