Friday, 3 February 2017

तकदीर

*तकदीर :*

*एक हसीन लडकी*
*राजा के दरबार में*
*डांस कर रही थी...*

*( राजा बहुत बदसूरत था )*

*लडकी ने राजा से एक*
*सवाल की इजाजत मांगी*
.
*राजा ने कहा ,*
                     *' चलो पूछो .'*
.
*लडकी ने कहा ,*
   *'जब हुस्न बंट रहा था*
      *तब आप कहां थे..??*
.
*राजा ने गुस्सा नही किया*
*बल्कि*
*मुस्कुराते हुवे कहा*
  *~  जब तुम हुस्न की*
       *लाइन में खडी*
       *हुस्न ले रही थी , ~*
.
*~    तो में*
  *किस्मत  की लाइन  में खडा*
             *किस्मत ले रहा था*
.
          *और आज* 
     *तुझ जैसी हुस्न वालियां*
      *मेरी गुलाम की तरह*
       *नाच रही है...........*
.
*इसलिए शायर खुब कहते है,*
.
    *" हुस्न ना मांग*
      *नसीब मांग ए दोस्त ,*

       *हुस्न वाले तो*
      *अक्सर नसीब वालों के*
      *गुलाम हुआ करते है...*

      *" जो भाग्य में है ,*
        *वह भाग कर आएगा,*
    
         *जो नहीं है ,*
         *वह आकर भी*
         *भाग जाएगा....!!!!!."*

*यहाँ सब कुछ बिकता है ,*
*दोस्तों रहना जरा संभाल के,*

*बेचने वाले हवा भी बेच देते है,*
      *गुब्बारों में डाल के,*

        *सच बिकता है ,*
        *झूट बिकता है,*
       *बिकती है हर कहानी,*

       *तीनों लोक में फेला  है ,*
       *फिर भी बिकता है*
       *बोतल में पानी ,*

*कभी फूलों की तरह मत जीना,*
*जिस दिन खिलोगे ,*
*टूट कर बिखर जाओगे ,*
*जीना है तो*
*पत्थर की तरह जियो ;*
*जिस दिन तराशे गए ,*
*" भगवान " बन  जाओगे...!!!!*

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