Tuesday 14 February 2017

घर में होंगे पौबारें।

*उठियें*
जल्दी घर के सारें, घर में होंगे पौबारें।

*लगाइये*
सवेरे मंजन, रात को अंजन।

*कीजियें*
मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार।

*नहाइए*
पहले सिर, हाथ पाँव फिर।

*खाइयें*
दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी।

*पीजिये*
दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर।

*खिलाइये*
आयें को रोटी, चाहें पतली हो या मोटी।

*पिलाइए*
प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि।

*छोडियें*
अमचूर की खटाई, रोज की मिठाई।

*करियें*
आयें का मान, जाते का सम्मान।

*सीखियें*
बड़ो की सीख और बुजुर्गों की रीत।

*जाईये*
दुःख में पहले, सुख में पीछे।

*देखियें*
माता की ममता, पत्नी का धर्म।

*ब्याहियें*
ऐसी नार से, जो घर में रहे प्यार से।

*परखिये*
चाहे सबको, छोड़ देना माता को।

*भगाइए*
मन के डर को, बुड्डे वर को।

*धोइये*
दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को।

*सोचिएं*
एकांत में, करो सबके सामने।

*बोलिएं*
कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा।

*चलियें*
तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी।

*सुनियें*
सबो की, करियें मन की।

*बोलियें*
जबाब संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर।

*सुनियें*
पहले पराएं की, पीछे अपने की।

*रखियें*
याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की।

*भुलियें*
अपनी बडाई को और दूसरों की भलाई को।

*छिपाइएं*
उमर और कमाई चाहे पूछे सगा भाई।

*लिजियें*
जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी।

*धरियें*
चीज जगह पर, जो मिल जावें वक्त पर।

*उठाइये*
सोते हुए को नहीं गिरकर गिरे हुयें को।

*लाइयें*
घर में चीज उतनी काम आवे जितनी।

*गाइये*
*सुख में राम को और दुःख मे सीताराम  को।*

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