Friday, 20 January 2017

सफल पति की कलम से..

एक सफल पति की कलम से..✍

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लोग पता नहीं अपनी बीबियों से इतना डरते क्यों हैं...???

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अपन तो इस मामले में भैया...

राजा हैं अपने घर के......

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ठन्डे पानी से बर्तन धोने का मूड हो तो ठन्डे से धोयेंगे...

गरम का मूड हो तो गरम से......

ज्यादा तो किसी की सुनी ही नहीं आजतक...

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पोछा फिनायल का लगेगा या लाइजोल का ये अपन खुद डिसाइड करते हैं......

बीवी की इतनी हिम्मत नहीं कि चूं कर जाए.......

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सुबह चाय बनाकर जब बीवी को जगाते हैं तो ये हम निर्णय लेते हैं कि वो चाय बेड में बैठे-बैठे पीयेगी या ड्राइंग रूम में या फिर बालकनी में....

मजाल है जो अपने निर्णय की खिलाफत हो....
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कपडे सर्फ़ एक्सेल से धुले जाने हैं या टाइड से...?

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वहाँ भी अपनी ही सल्तनत चलती है......

उस बारे में बीवी को इतना पिछड़ा बना रखा है कि उसे वाशिंग मशीन तक चलानी नहीं आती....

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झाडू सींक वाले झाडू से मारना है या सॉफ्ट वाले से....

ये फर्श का मुआयना करने के बाद बादशाह हज़रत खुद डिसाइड करते हैं...

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खाने में हमें कब क्या बनाना है इस बारे में बीवी कौन होती है कुछ कहने वाली...

हमारी जो मर्जी होगी उससे पूछ के हम बनायेंगे....

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कांच पानी के गीले कपडे से साफ़ होने हैं या कोलीन से इस बारे में बहस की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है अपने घर में........
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सन्डे को टॉयलेट सुबह साफ़ होगा या शाम को ये भी हम ही फिक्स करते हैं......

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सबसे बड़ी बात....

रात में सोने से पहले बीवी का पहले सर दबाना है या पाँव..

ये फैसला हम ऑन द स्पॉट लेते हैं....
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भई घर के सभी अहम् और बड़े फैसले लेना ही तो मर्दों की शान है....
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अब जलने वालों का क्या है जी...

उनका तो काम ही है जलना...

लेकिन भाई अपनी जैसी किस्मत और हौसला इंसान लेकर पैदा होता है ...

आप लोग निराश मत होना मेरा मकसद ना तो आपको जलाना था और ना ही आपका मनोबल तोड़ने का...

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एक सफल पति

चेतन भगत द्वारा भारतीय महिलाओं के लिए लिखा गया पत्र

हाल ही में चेतन भगत द्वारा भारतीय महिलाओं के लिए लिखा गया पत्र,  यह पत्र दरअसल एक अध्ययन की रिपोर्ट के जवाब में लिखा गया है, जिसमें यह खुलासा किया गया है कि भारतीय महिलाएं, विश्व की अन्य महिलाओं की तुलना में सबसे ज्यादा तनाव में होती हैं।

चेतन भगत का कहना है कि हम महिलाओं के साथ क्या कर रहे हैं, मैं पक्ष ले रहा हूं, लेकिन भारतीय महिलाएं दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाएं हैं। एक मां, बहन, बेटी, सहकर्मी, पत्नी या प्रेमिका के रूप में हम उन्हें प्रेम करते हैं। क्या आप महिलाओं के बगैर जीवन की कल्पना कर सकते हैं? जानें, कौन सी 5 सलाह दी चेतन भगत ने महिलाओं को...

1 पहली बात, कभी मत सोचिए कि आप निशक्त या असक्षम हैं  हैं। अगर आपकी सास आपको पसंद नहीं करती, उनके विचार उन पर ही छोड़ दीजिए। आप वही रहिए, जो आप वाकई हैं, ना कि वह जो आपके होने या बन जाने की अपेक्षा की गई है। अगर आपको पसंद नहीं किया जा रहा, तो यह उनकी समस्या है, आपकी नहीं।

2 दूसरी बात, अगर आप कार्यस्थल पर अच्छा कार्य कर रही हैं, और इसके बावजूद आपके बॉस आपको महत्व नहीं देते, तो उनसे बात कीजिए या फिर जॉब छोड़ दीजि‍ए। प्रतिभावान, मेहनती लोगों की हर जगह बहुत आवश्यकता है।

3 तीसरी बात, खुद को शिक्षित करें, हुनर सीखें, पहुंच बनाएं और आर्थ‍‍िक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रयास करें। अगली बार अगर पति आपसे कहते हैं कि आप एक अच्छी पत्नी, मां या बहू नहीं हैं तो आप बेशक उन्हें सही जवाब दे सकती हैं या हालात बिगड़ने पर चलता कर सकती हैं। 

4 चौथी बात, अपने ऊपर दोगुनी जिम्मेदारियां होने पर कभी तनाव मत पालिए। यह करना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। आप कोई परीक्षा नहीं दे रही हैं, इसलिए हर बार अच्छे या सौ में से सौ नंबर लाने की उम्मीद मत कीजिए।

अगर आप लंच के लिए चार व्यंजन नहीं बनातीं, तो भी ठीक है। एक प्रकार के व्यंजन या भोजन से भी पेट भरा जा सकता है। अगर आप देर रात तक काम नहीं या आपको प्रमोशन नहीं मिलता, तो भी ठीक है क्योंकि जीवन के अंतिम दिन अपनी जॉब और पद किसी को याद नहीं रहता।

5 पांचवी और सबसे महत्वपूर्ण बात, किसी अन्य महिला से अपनी तुलना या स्पर्धा बिल्कुत मत कीजिए। यह बातकोई मायने नहीं रखती कि उनके लिए कोई आपसे बेहतर स्क्रेबबुक लिखेगा, या दूसरा कोई बेहतर डाइट के जरिए जदा वजन कम करेगा।

आपकी पड़ोसन अपने पति के लिए 6 डब्बों वाला टिफिन तैयार करके देती हो, और आप वो नहीं करती, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।

बस, आप अपना काम बेहतर तरीके से करें, लेकिन अपना रिपोर्ट कार्ड पर ध्यान न दें या ही खुद से, सबसे बेहतरीन होने की उम्मीद करें। इस दुनिया में ऐसी कोई औरत नहीं है जो बिल्कुल आदर्श महिला हो। और अगर आप वह बनने की कोशिश कर रही हैं, तो आप सिर्फ एक ही चीज पा सकेंगी, वह है तनाव।

तो सांस ली‍जि‍ए, रिलेक्स हो जाएं और खुद को बताएं, कि आप खूबसूरत हैं। अपनी क्षमता अनुसार बेहतरीन काम करें और खुद को एक शांतिपूर्ण और सुकून से भरी जिंदगी का  हकदार बनाएं।

अगर कोई आपसे दूर जाना चाह रहा है, तो यह उनकी गलती है, आपकी नहीं। आपका इस धरती पर आने का उद्देश्य किसी को रिझाना या संतुष्ट करना नहीं है। आपका उद्देश्य वो है, जो आप करना चाहते हैं, और इसके बदले में एक अच्छी अच्छी जिंदगी बिताना भी।

तो अगली बार इस सर्वे में, मैं भारतीय महिलाओं को टॉप लिस्ट में नहीं देखना चाहता...मैं उन्हें दुनिया की सबसे खुश और आनंदपूर्ण महिलाओं में देखना चाहता हूं।

चंद लाइने  दोस्तों के नाम

*एक दोस्त अपने दोस्त के शव को देख कर मुस्कुराया ।*                       
*तो एक बुजुर्ग ने कहा कि बेटा जवान मौत पर मुस्कुराते नहीं ।*    
*लड़के ने आँख साफ करते हुये बोला*             *बाबा क्या बताऊ दिल तो खून के आंसू रो रहा है*         
*लेकिन दोस्त से वादा किया था जब भी मिलेंगे* ....हँसते हुए मिलेंगे....                 
*मै जब मर जाऊ तो हसते हुये आना यारों क्यों की उस वक्त मेरे हाथ तुम्हारे आंसू नहीं पोंछ सकेंगे* 
_*चंद लाइने  दोस्तों के नाम:-*_

"क्यूँ  मुश्किलों में  साथ  देते  हैं  "दोस्त"
"क्यूँ  गम  को  बाँट लेते  हैं "दोस्त"
"न  रिश्ता  खून  का  न  रिवाज  से  बंधा  है !
"फिर  भी  ज़िन्दगी  भर  साथ  देते  हैं  "दोस्त. "
                                     
“प्रेम से रहो दोस्तों जरा सी बात पे रूठा नहीं करते,
पत्ते वहीं सुन्दर दिखते हैं जो शाख से टूटा नही करते।

तोरण का सच

तोरण का सच
कुछ लोग जानकारी के अभाव मे गलती कर रहे हे
हिन्दू समाज में शादी में तोरण मारने की एक आवश्यक रस्म है।
जो सदियों से चली आ रही है। लेकिन अधिकतर लोग नहीं जानते कि यह रस्म कैसे शुरू हुई।
दंत कथानुसार कहा जाता है कि एक तोरण नामक राक्षस था जो शादी के समय दुल्हन के घर के द्वार पर तोते का रूप धारण कर बैठ जाता था तथा दूल्हा जब द्वार पर आता तो उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वयं शादी रचाकर उसे परेशान करता था।
एक बार एक राजकुमार जो विद्वान एवं बुद्धिमान था शादी करने जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था अचानक उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी और उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया व शादी संपन्न की।
बताया जाता है कि तब से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हुई अब इस रस्म में दुल्हन के घर के दरवाजे पर लकड़ी का तोरण लगाया जाता है, जिस पर एक तोता (राक्षस का प्रतीक) होता है।
बगल में दोनों तरफ छोटे तोते होते हैं। दूल्हा शादी के समय तलवार से उस लकड़ी के बने राक्षस रूपी तोते को मारने की रस्म पूर्ण करता है।
गांवों में तोरण का निर्माण खाती करता है, लेकिन आजकल बाजार में बने बनाए सुंदर तोरण मिलते हैं, जिन पर गणेशजी व स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उन पर तलवार से वार कर तोरण (राक्षस) मारने की रस्म पूर्ण करता है।
यानी दूल्हा राक्षस की जगह गणेशजी या धार्मिक चिन्हों पर वार करता है जो कि भारतीय परंपरा और धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं है।
एक तरफ हम शादी में गणेश पूजन कर उनको रिद्धि-सिद्धि सहित शादी में पधारने का निमंत्रण देते हैंऔर दूसरी तरफ तलवार से वार कर उनका अपमान करते हैं, यह उचित नहीं है।
अत:
तोरण की रस्म पर ध्यान रखकर परंपरागत राक्षसी रूपी तोरण ही लाकर रस्म निभाएं ।
कोई अशुभ कार्य नहीं करे कृपया उपरोक्त सन्देश को
जितना हो सके सेयर करे एवम् सभी को सत्यता से अवगत कराईये ताकि भविष्य में ध्यान रखा जा सकेँ।
धन्यवाद

Thursday, 19 January 2017

वेद की आज्ञाओं के उलंघन

  जानिए वेद की आज्ञाओं के उलंघन का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है ?* भारत की दुर्गति के पीछे वेद की आज्ञाओं का उलंघन ही था ।

  *पहली आज्ञा  :*
  अक्षैर्मा दिव्य: (ऋ 10/34/13)
  अर्थात् "जुआ मत खेलो ।" इस आज्ञा का उलंघन हुआ । इस आज्ञा का उलंघन धर्मराज कहे जाने वाले युधिष्टर ने किया ।

  परिणाम  :  एक स्त्री का भरी सभा में अपमान । महाभारत जैसा भयंकर युद्ध जिसमें लाखों, करोड़ों योद्धा और हज़ारों विद्वान मारे गए । आर्यवर्त पतन की ओर अग्रसर हुआ ।

  *दूसरी आज्ञा  :*
  मा नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः (ऋ 8/48/14)
  अर्थात् "आलस्य, प्रमाद और बकवास हम पर शासन न करें ।" लेकिन इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । महाभारत के कुछ समय बाद भारत के राजा आलस्य प्रमाद में डूब गये ।

  परिणाम  :  विदेशियों के आक्रमण ।धर्म के नाम पर अंधविश्वास का पाखण्ङ फैल जाना।

  *तीसरी आज्ञा  :*
  सं गच्छध्वं सं वद्ध्वम (ऋ 10/191/2)
  अर्थात् "मिलकर चलो और मिलकर बोलो ।" वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । जब विदेशियों के आक्रमण हुए तो देश के राजा मिलकर नहीं चले । बल्कि कुछ ने आक्रमणकारियों का ही सहयोग किया ।

  परिणाम  :  लाखों लोगों का कत्ल, लाखों स्त्रियों के साथ दुराचार, अपार धन-धान्य की लूटपाट, गुलामी ।

  *चौथी आज्ञा  :*
  कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो में सव्य आहितः (अथर्व 7/50/8)
  अर्थात् "मेरे दाएं हाथ में कर्म है और बाएं हाथ में विजय ।" वेद की इस आज्ञा का उलंघन हुआ । लोगों ने कर्म को छोड़कर ग्रहों फलित ज्योतिष आदि पर आश्रय पाया ।

  परिणाम  :  कर्महीनता, भाग्य के भरोसे रहकर आक्रान्ताओं को मुँहतोड़ जवाब न देना । धन-धान्य का अपव्यय, मनोबल की कमी और मानसिक दरिद्रता ।

  *पाँचवीं आज्ञा  :*
  उतिष्ठत सं नह्यध्वमुदारा: केतुभिः सह ।
        सर्पा इतरजना रक्षांस्य मित्राननु धावत ।।
                    (अथर्व 11/10/1)
  अर्थात् "हे वीर योद्धाओ ! आप अपने झण्डे को लेकर उठ खड़े हो और कमर कसकर तैयार हो जाओ । हे सर्प के समान क्रुद्ध रक्षाकारी विशिष्ट पुरुषो ! अपने शत्रुओं पर धावा बोल दो ।" वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । जब लोगों के बीच बुद्ध ओर जैन मत के मिथ्या अहिंसावाद का प्रचार हुआ । लोग आक्रमणकारियों को मुँहतोड़ जवाब देने की बजाय मिथ्या अहिंसावाद को मुख्य मानने लगे ।

  परिणाम  :  अशोक जैसे महान योद्धा का युद्ध न लड़ना । विदेशियों के द्वारा इसका फायदा उठाकर भारत पर आक्रमण ।

  *छठी आज्ञा  :*
  मिथो विघ्राना उप यन्तु मृत्युम (अथर्व 6/32/3)
  अर्थात् "परस्पर लड़ने वाले मृत्यु का ग्रास बनते हैं और नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं ।" वेद की इस आज्ञा का उलंघन हुआ ।

  परिणाम  :  भारत के योद्धा आपस में ही लड़-लड़कर मर गये और विदेशियों ने इसका फायदा उठाया ।

  *सातवीं आज्ञा  :*
  न तस्य प्रतिमा अस्ति
(यजुर्वेद 32/3)

  अर्थात् "ईश्वर का कोई प्रतिमा नहीं है ।" लेकिन इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ और लोगों ने ईश्वर को एकदेशी मुर्ति तक समेट दिया।

  परिणाम  :  ईश्वर के सत्य स्वरुप को छोड़कर भिन्न स्वरुप की उपासना और सत्य धर्म को भूला देना। मंदिर मे ढेर सारा धन आदि जमा हो जाना जो न धर्म रक्षा मे लगता है न अभाव गरीबी दुर करने में।

बुध्द वचन


        *"बुध्द वचन"*

"न नंगा रहने से,,   न सिर मुंडवाने से,,
न जटाएं रखने से,,न भभूत लगाने से,,
न पूजापाठ से,,न नदियो मे स्नान करने से,,
और न ईश्वर या किसी देवी देवता का नाम रटने से ...
कोई मनुष्य "पवित्र" नहीँ हो जाता,,,।

"जिसमे "सत्य है,,"
"सदाचार हैं,,"
"शीलवान हैं,,"

"वही मनुष्य "पवित्र" हैं,,,।
"न जाति से,, न वंश से,, न जन्म से कोई मनुष्य "अपवित्र" नहीं हो जाता,,,।

"जिसमे "सत्य नहीं,," सदाचार नहीं,," शीलवान नहीं,, वही मनुष्य "अपवित्र" है !--

" सबका मगंल हो "

Wednesday, 18 January 2017

जन धन में खाता

कस्टमर :-
जन धन में खाता
खुलवाना है....!!

बैंक मैनेजर :-
खुलवा लो...!!

कस्टमर :-
क्या ये जीरो बैलेंस
में खुलता है.....!!

बैंक मैनेजर :-
(मन ही मन में .......
साला पता है फिर
भी पूछ रहा है)
हाँ जी फ्री में खुलवा लो....!!

कस्टमर : -
इसमें सरकार
कितना पैसा डालेगी ?

बैंक मैनेजर : -
जी अभी तो कुछ
पता नहीं....!!

कस्टमर : -
तो मैं ये खाता
क्यों खुलवाऊँ ?

बैंक मैनेजर : -
जी मत खुलवाओ....!!

कस्टमर : -
फिर भी सरकार
कुछ तो देगी.....!!

बैंक मैनेजर :-
आपको फ्री में
ATM CARD
दे देंगे.....!!

कस्टमर :-
जब उसमे पैसा
ही नहीं होगा तो
एटीएम का
क्या करूँगा?

बैंक मैनेजर : -
पैसे डलवाओ
भैया तुम्हारा खाता है.....!@

कस्टमर :-
मेरे पास पैसा
होता तो मैं पहले
नहीं खुलवा लेता,
तुम खाता खोल
रहे हो तो तुम
डालो न पैसे.....!!

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
खुलवा रही है.....!!

कस्टमर :-
तो ये सरकारी
बैंक नहीं है ?

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
तुम्हारा बीमा फ्री
में कर रही है ,
पुरे एक लाख का ,

कस्टमर : -
(खुश होते हुए)
अच्छा तो ये
एक लाख मुझे
कब मिलेंगे?

बैंक मैनेजर :-
(गुस्से में)
जब तुम मर
जाओगे तब
तुम्हारी बीबी
को मिलेंगे.....!!

कस्टमर :-
(अचम्भे से)
तो तुम लोग मुझे
मारना चाहते हो?
और मेरी बीबी से
तुम्हारा क्या मतलब है?

बैंक मैनेजर :-
अरे भाई ये हम
नहीं सरकार चाहती है...!!

कस्टमर :-
(बीच में बात काटते हुए) तुम्हारा मतलब
सरकार मुझे
मारना चाहती है?

बैंक मैनेजर :-
अरे यार मुझे नहीं पता, तुमको खाता खुलवाना है
या नहीं?

कस्टमर : -
नहीं पता का
क्या मतलब?
मुझे पूरी बात बताओ ,

बैंक मैनेजर : -
अरे अभी तो
मुझे भी पूरी
बात नहीं पता,
मोदी ने कहा कि
खाता खोलो तो
हम खोल रहे हैं.....!!

कस्टमर :'
अरे नहीं पता तो
यहां क्यों बैठे हो,
(जन धन के पोस्टर
को देखते हुए)
अच्छा ये 5000 का ओवरड्राफ्ट क्या है?

बैंक मैनेजर : -
मतलब तुम अपने
खाता से 5000
निकाल सकते हो ,

कस्टमर : -
(बीच में बात काटते हुए)
ये हुई ना बात,
ये लो आधार कार्ड,
2 फोटो और
निकालो 5000......!!

बैंक मैनेजर :-
अरे यार ये तो 6
महीने बाद मिलेंगे.......!!

कस्टमर :-
मतलब मेरे 5000
का इस्तेमाल 6
महीने तक तुम
लोग करोगे......!!

बैंक मैनेजर : -
भैया ये रुपये ही
6 महीने बाद आएंगे......!!

कस्टमर : -
झूठ मत बोलो,
पहले बोला कि
कुछ नहीं मिलेगा,
फिर कहा एटीएम मिलेगा,
फिर बोला बीमा मिलेगा,
फिर बोलते हो 5000 रुपये मिलेंगे,
फिर कहते हो
कि नहीं मिलेंगे,
तुम्हे कुछ पता भी है?

बैंक मैनेजर बेचारा :-
अरे मेरे बाप कानून की कसम,
भारत माँ की कसम,
मैं सच कह रहा हूँ,
मोदी जी ने अभी कुछ नहीं बताया है,....
तुम चले जाओ,......
खुदा की कसम, ...
तुम जाओ,....
मेरी सैलरी इतनी नहीं है
कि .......
एक साथ
ब्रेन हैमरेज और हार्ट
अटैक दोनो का
ईलाज
करवा सकु.......!!

�इसे भेजो
जितना भेजना Qki
ये तो अभी लॉन्च हुआ
hai
अभी तो
market में भी
new
आया hai.....!!

Monday, 16 January 2017

तुलना

बेल बजी तो द्वार खोला। द्वार पर शिवराम खड़ा था। शिवराम हमारी कॉलोनी के लोगों की गाड़ियाँ, बाइक्स वगैरह धोने का काम करता था।

" साहब, जरा काम था। "

" तुम्हारी पगार बाकी है क्या, मेरी तरफ ? "

" नहीं साहब, वो तो कब की मिल गई। पेड़े देने आया था, बेटा दसवीं पास हो गया। "

" अरे वाह ! आओ अंदर आओ। "

मैंने उसे बैठने को कहा। उसने मना किया लेकिन फिर, मेरे आग्रह पर बैठा। मैं भी उसके सामने बैठा तो उसने पेड़े का पैकेट मेरे हाँथ पर रखा।

" कितने मार्क्स मिले बेटे को ? "

" बासठ प्रतिशत। "

" अरे वाह ! " उसे खुश करने को मैं बोला।
आजकल तो ये हाल है कि, 90 प्रतिशत ना सुनो तो आदमी फेल हुआ जैसा मालूम होता है। लेकिन शिवराम बेहद खुश था।

" साहब, मैं बहुत खुश हूँ। मेरे खानदान में इतना पढ़ जाने वाला मेरा बेटा ही है। "

" अच्छा, इसीलिए पेड़े वगैरह ! "

शिवराम को शायद मेरा ये बोलना अच्छा नहीं लगा। वो हलके से हँसा और बोला, " साहब, अगर मेरी सामर्थ्य होती तो हर साल पेड़े बाँटता। मेरा बेटा बहुत होशियार नहीं है, ये मुझे मालूम है। लेकिन वो कभी फेल नहीं हुआ और हर बार वो 2-3 प्रतिशत नंबर बढ़ाकर पास हुआ, क्या ये ख़ुशी की बात नहीं ? "
" साहब, मेरा बेटा है, इसलिए नहीं बोल रहा, लेकिन बिना सुख सुविधाओं के वो पढ़ा, अगर वो सिर्फ पास भी हो जाता, तब भी मैं पेड़े बाँटता। "

मुझे खामोश देख शिवराम बोला, " माफ करना साहब, अगर कुछ गलत बोल दिया हो तो। मेरे बाबा कहा करते थे कि, आनंद अकेले ही मत हजम करो बल्कि, सब में बाँटो। ये सिर्फ पेड़े नहीं हैं साहब - ये मेरा आनंद है ! "

मेरा मन भर आया। मैं उठकर भीतरी कमरे में गया और एक सुन्दर पैकेट में कुछ रुपए रखे।

भीतर से ही मैंने आवाज लगाई, " शिवराम, बेटे का नाम क्या है ? "

" विशाल। " बाहर से आवाज आई।

मैंने पैकेट पर लिखा - प्रिय विशाल, हार्दिक अभिनंदन ! अपने पिता की तरह सदा, आनंदित रहो !

" शिवराम ये लो। "

" ये किसलिए साहब ? आपने मुझसे दो मिनिट बात की, उसी में सब कुछ मिल गया। "

" ये विशाल के लिए है! इससे उसे उसकी पसंद की पुस्तक लेकर देना। "

शिवराम बिना कुछ बोले पैकेट को देखता रहा।

" चाय वगैरह कुछ लोगे ? "

" नहीं साहब, और शर्मिन्दा मत कीजीए। सिर्फ इस पैकेट पर क्या लिखा है, वो बता दीजिए, क्योंकि मुझे पढ़ना नहीं आता। "

" घर जाओ और पैकेट विशाल को दो, वो पढ़कर बताएगा तुम्हें। " मैंने हँसते हुए कहा।

मेरा आभार मानता शिवराम चला गया लेकिन उसका आनंदित चेहरा मेरी नजरों के सामने से हटता नहीं था।
आज बहुत दिनों बाद एक आनंदित और संतुष्ट व्यक्ति से मिला था।

आजकल ऐंसे लोग मिलते कहाँ हैं। किसी से जरा बोलने की कोशिश करो और विवाद शुरू। मुझे उन माता पिताओं के लटके हुए चेहरे याद आए जिनके बच्चों को 90-95 प्रतिशत अंक मिले थे। अपने बेटा/बेटी को कॉलेज में एडमीशन मिलने तक उनका आनंद गायब ही रहता था।

मोगरे के फूल की खुशबू सूंघने में कितना समय लगता है ?

सूर्योदय-सूर्यास्त देखने के कितने पैसे लगते हैं ?

स्नान करते हुए अगर आपने गीत गाया, गुनगुनाया, तो कौन आपसे कॉम्पिटीशन करने आने वाला है ?

बारिश हो रही है ? बढ़िया है - जाओ भीगो उस बारिश में !

कुछ भी करने के लिए आपको मूड़ लगता है क्या ?

इंसान के जन्म के समय उसकी मुट्ठियाँ बंद होती हैं।
ईश्वर ने एक हाँथ में आनंद और एक में संतोष भरके भेजा है।

दूसरों से तुलना करते हुए
और पैसे,
और कपड़े,
और बड़ा घर,
और हाई पोजीशन,
और परसेंटेज...!

इस *और* के पीछे भागते भागते उस आनंद के झरने से कितनी  दूर चले आए हम !!

दिल को  छू लेने वाली ऐसी  37-लाइन

*दिल को  छू लेने वाली ऐसी  37-लाइन*

1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*

2. *ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं*

3. *कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं*, *और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं*

4. *इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म*

5. *सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन*
*धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा*

6. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा*

7. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो*

8. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही*

9. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं*

10. *जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं*

11. *हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो*

12. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे*

13. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं*

14. *जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए*

15. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..*
*भाग लो.. (run away)*
*भाग लो..(participate)*
*पसंद आपको ही करना हैं*

16. *इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे*

17. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं*

18. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए*

19. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा*

20. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना*

21. *कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो*

22. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं*

23. *मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें*

24. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं*

25. *संस्कारो से भरी कोई धन दौलत नही है*

26. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं*

27. *दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं*

28. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर*

29. *घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा*

30. *जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा*

31. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती*

32. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता*

33. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)*

34. *मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है*

35. *जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं*

36. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते* ।

37. *अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता*
    
*उम्मीद करता हूँ की आप को ये खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी और आप की अंदरुनी खूबसूरती में हंसमुखी निखार आये*
*बस यही प्रार्थना करता हूँ हँसते रहिये हँसाते रहिये*

Six great confusions Still unresolved

Six great confusions
Still unresolved

1. At a movie theatre, which arm rest is yours?

2. In the word scent, is "S"  silent or "C"?

3. If people evolve from monkeys,
why are monkeys still around?

4. Why is there a 'D' in fridge,
but not in refrigerator?

5. Who knew what time it was
when the first clock was made?

And now sixer ....

6. If pro and con are opposites,

wouldn't the opposite of progress be...congress?