*"बुध्द वचन"*
"न नंगा रहने से,, न सिर मुंडवाने से,,
न जटाएं रखने से,,न भभूत लगाने से,,
न पूजापाठ से,,न नदियो मे स्नान करने से,,
और न ईश्वर या किसी देवी देवता का नाम रटने से ...
कोई मनुष्य "पवित्र" नहीँ हो जाता,,,।
"जिसमे "सत्य है,,"
"सदाचार हैं,,"
"शीलवान हैं,,"
"वही मनुष्य "पवित्र" हैं,,,।
"न जाति से,, न वंश से,, न जन्म से कोई मनुष्य "अपवित्र" नहीं हो जाता,,,।
"जिसमे "सत्य नहीं,," सदाचार नहीं,," शीलवान नहीं,, वही मनुष्य "अपवित्र" है !--
" सबका मगंल हो "
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