Friday, 20 January 2017

सफल पति की कलम से..

एक सफल पति की कलम से..✍

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लोग पता नहीं अपनी बीबियों से इतना डरते क्यों हैं...???

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अपन तो इस मामले में भैया...

राजा हैं अपने घर के......

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ठन्डे पानी से बर्तन धोने का मूड हो तो ठन्डे से धोयेंगे...

गरम का मूड हो तो गरम से......

ज्यादा तो किसी की सुनी ही नहीं आजतक...

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पोछा फिनायल का लगेगा या लाइजोल का ये अपन खुद डिसाइड करते हैं......

बीवी की इतनी हिम्मत नहीं कि चूं कर जाए.......

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सुबह चाय बनाकर जब बीवी को जगाते हैं तो ये हम निर्णय लेते हैं कि वो चाय बेड में बैठे-बैठे पीयेगी या ड्राइंग रूम में या फिर बालकनी में....

मजाल है जो अपने निर्णय की खिलाफत हो....
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कपडे सर्फ़ एक्सेल से धुले जाने हैं या टाइड से...?

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वहाँ भी अपनी ही सल्तनत चलती है......

उस बारे में बीवी को इतना पिछड़ा बना रखा है कि उसे वाशिंग मशीन तक चलानी नहीं आती....

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झाडू सींक वाले झाडू से मारना है या सॉफ्ट वाले से....

ये फर्श का मुआयना करने के बाद बादशाह हज़रत खुद डिसाइड करते हैं...

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खाने में हमें कब क्या बनाना है इस बारे में बीवी कौन होती है कुछ कहने वाली...

हमारी जो मर्जी होगी उससे पूछ के हम बनायेंगे....

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कांच पानी के गीले कपडे से साफ़ होने हैं या कोलीन से इस बारे में बहस की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है अपने घर में........
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सन्डे को टॉयलेट सुबह साफ़ होगा या शाम को ये भी हम ही फिक्स करते हैं......

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सबसे बड़ी बात....

रात में सोने से पहले बीवी का पहले सर दबाना है या पाँव..

ये फैसला हम ऑन द स्पॉट लेते हैं....
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भई घर के सभी अहम् और बड़े फैसले लेना ही तो मर्दों की शान है....
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अब जलने वालों का क्या है जी...

उनका तो काम ही है जलना...

लेकिन भाई अपनी जैसी किस्मत और हौसला इंसान लेकर पैदा होता है ...

आप लोग निराश मत होना मेरा मकसद ना तो आपको जलाना था और ना ही आपका मनोबल तोड़ने का...

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एक सफल पति

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