Saturday 17 December 2016

जब   मैंने  "दारू" पी पहली  बार 

जब   मैंने  "दारू"
पहली  बार  पी थी,

में  खुद  अपनी  नज़र
में  गिर  गया  था.......

और  मैंने   दारू   छोड़ने    का
फैसला   कर  लिया ?

लेकिन  तब  मैंने,
इन  तमाम  लोगों  के  बारे  में सोचा..... .

किसान-जो अँगूर  उगाते  है।

वो "दारू"   फेक्टरी   के  मजदूर,

वो  कांच  की  बोतल   की  फेक्टरी में  काम  करने  वाले  मजदूर,

वो "बार" में  नाचने  वाली  गरीब
बार डांसर,

वो "बार"में  काम  करने  वाले वेटर,

वो "कबाड़ी" जो  बोतल  इकट्ठा  कर अपना अपनी  रोजी रोटी कमाते है,

इन सबको  लादकर  चलने वाले गरीब ट्रक ड्राइवर ,

और उनके  बीबी बच्चों के बारे में सोचा  तो मेरी आंख भर आयी,

और बस......
उसी पल फैसला  किया  की  अबसे,

में  रोज  पियूँगा........

क्योंकि .........

"अपने  लिये तो सब जीते  है,
हम तो  गरीबों के लिये पीते है"

प्लीज़  सेन्ड टू आल फ्रेंड

लेट देम आलसो ज्वाइन  अस.....

जीयो   और  जीने  दो,

पीयो   और  पीने  दो............

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