Tuesday, 25 October 2016

मित्रता


पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..

जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा-
मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे  स्वरुप को धारण किया है....

अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा।

दूध बिकने के बाद
जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है..

अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा
और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा..
दूध से पहले पानी उड़ता जाता है

जब दूध मित्र को अलग होते देखता है
तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है,

जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।

पर
इस अगाध प्रेम में..
थोड़ी सी खटास-
(निम्बू की दो चार बूँद)
डाल दी जाए तो
दूध और पानी अलग हो जाते हैं..

थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।

रिश्ते में..
खटास मत आने दो॥
"क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर,
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।
I
फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए।

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?

आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?

मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?

बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?

दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?

न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?

डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?

एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?

मूंद ली दोनों में से अगर  किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?

✍ *सुनने* की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

✍ *मुस्कराने* की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

✍ *ऊपर उठने* की आदत डालो क्योंकि टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

✍ *प्रोत्साहित* करने की आदत डालो क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

✍ *सच्चा व्यक्ति* ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है......

✍ *छोटी छोटी बातें दिल* में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"

✍ *कभी पीठ पीछे आपकी बात चले*
तो घबराना मत ...
बात तो
"उन्हीं की होती है"..
जिनमें कोई " बात " होती है

✍ *"निंदा"* उसी की होती है जो"जिंदा" हैँ मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है
*Be Positive..*

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