Tuesday 18 October 2016

COUPLE'S DAY*

*COUPLE'S DAY*
*पति-पत्नी...*

एक बनाया गया *रिश्ता*,
पहले कभी एक दुसरे को
*देखा* भी नहीं था,
अब सारी *जिंदगी* एक दुसरे के साथ,
पहले *अपरिचित*,
फिर धीरे धीरे होता *परिचय*,
☺धीरे-धीरे होने वाला *स्पर्श*,
फिर *नोकझोंक*...
*झगड़े*,
बोलचाल *बंद*,
कभी *जिद*,
कभी *अहम का भाव*,

फिर धीरे धीरे बनती जाती *प्रेम पुष्पों* की *माला*
,

फिर *एकजीवता*,
*तृप्तता*,
वैवाहिक जीवन को *परिपक्व* होने में *समय* लगता है,
धीरे धीरे जीवन में *स्वाद और मिठास* आती है,
ठीक वैसे ही जैसे *अचार* जैसे जैसे *पुराना* होता जाता है,
उसका *स्वाद* बढ़ता जाता है,

*पति पत्नी* एक दुसरे को अच्छी प्रकार *जानने समझने* ☺लगते हैं,
*वृक्ष* बढ़ता जाता है,
*बेलाएँ फूटती* जातीं हैं,
*फूल*आते हैं,
*फल* आते हैं,
रिश्ता और *मजबूत* होता जाता✊ है,
धीरे-धीरे बिना एक दुसरे के *अच्छा* ही नहीं लगता,

*उम्र* बढ़ती जाती है,
दोनों एक दुसरे पर अधिक *आश्रित* होते जाते हैं,
एक दुसरे के बगैर *खालीपन* महसूस होने लगता है,

फिर धीरे-धीरे मन में एक *भय का निर्माण* होने लगता है,
*"ये चली गईं तो मैं कैसे जिऊँगा"*,
*"ये चले गए तो मैं कैसे जीऊँगी"*,
अपने मन में *घुमड़ते इन सवालों* के बीच जैसे, खुद का *स्वतंत्र अस्तित्व* दोनों भूल जाते हैं,

कैसा अनोखा *रिश्ता* कौन कहाँ का,
एक बनाया गया रिश्ता *पति-पत्नी*,

So  Always *Respect*,
*Care n Love* This *Relationship*
This is a *Beautiful Gift* Given By *God* To Us.....

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