Sunday, 23 October 2016

रावण

गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा,
“क्या चाहिए तुझे, बहन या भाई ?”

बेटी बोली, “भाई”।

माँ ने पूछा, “किसके जैसा ?”

बेटी ने गर्व से कहा, “रावण जैसा।”

पिता ने डांटा, “क्या बकती है ?”

माँ ने धमकाया, “गाली देती है।”

बेटी बोली, “क्यूँ माँ ?”
बहन के अपमान पर राज्य, वंश और प्राण लुटा देने वाला,
शत्रु की स्त्री को हरने के बाद भी स्पर्श न करने वाला,
रावण जैसा भाई ही तो हर लड़की को चाहिए आज।

छाया जैसी साथ निभाने वाली, गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम सा भाई लेकर मैं क्या करुँगी ?

और माँ!! अग्नि-परीक्षा, चौदह बरस वनवास और अपहरण से लांछित बहु की कातर आहें, तुम कब तक सुनोगी और कब तक राम को ही जन्मोगी ?

माँ सिसक रही है …..

पिता अब भी अवाक है …..

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