Tuesday, 25 October 2016

“तनख़्वाह” लुट ही गई...


सहमी और डरी हुई *“कमसिन तनख़्वाह”* चुपचाप सर झुकाये चली जा रही थी....!!

*और*

उसे देखकर *“किश्त”, “बिल”, “खर्चा”* और *"ज़रुरत"* नाम के कुख्यात *गुंडे* सीटी बजा रहे थे....!!

आखिरकार *“तनख़्वाह”* लुट ही गई....!!

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